कविता

रावण

फिर से आज दशहरा आया,
मेरा पुतला बना दिया l
रामवेश लेकर मानव ने
मरे हुए को जला दिया l
साधुवेश में मेरे द्वारा
सीता एक बार थी ठगी गई l
पाखण्डी-चंगुल में फंसती
नारी फिर भी जगी नहीं l
मैंने तो बस हरण किया था,
उसे तनिक भी छुआ नहीं l
मुझसे बड़े अधर्मी बैठे,
अवतार अभी तक हुआ नहीं l
आँखें खोल घोर से देखो
कितने रावण जिंदा है ?
जिनको रावण कहते हुए
खुद रावण भी शर्मिंदा है l
हर वर्ष ही पुतले जलते,
क्यों मेरी ही निंदा है ?
कलयुग का मानव भी अब तो
सबसे बड़ा दरिंदा है l

नीतू शर्मा 'मधुजा'

नाम-नीतू शर्मा पिता-श्यामसुन्दर शर्मा जन्म दिनांक- 02-07-1992 शिक्षा-एम ए संस्कृत, बी एड. स्थान-जैतारण (पाली) राजस्थान संपर्क- neetusharma.prasi@gmail.com

2 thoughts on “रावण

  • राजकुमार कांदु

    सचमुच कलयुग का मानव ही अब तो सबसे बड़ा दरिंदा है । बहुत खूब !

    • नीतू शर्मा

      ?बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय

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