“रथपद छंद”
छंद, विधान~[ नगण नगण सगण गुरु गुरु] ( 111 111 112 2 2 ) 11वर्ण,4 चरण, दो चरण समतुकांत सकल
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Read Moreइस धरा पर मानव जीवन ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता हैं। इस जीवन को नशे के द्वारा व्यर्थ नष्ट करना मूर्खता
Read More“बंधवा पर महवीर विराजै” बचपन में जब इसे सुना था तब तक बांध से परिचित भी नहीं हो पाया था!
Read Moreधरा आज फिर मुस्कुराने लगी कदम भगवती घर बढ़ाने लगी ! चहल औ पहल हो रही हर तरफ खुशी चेहरों
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