किताब….
ऐ जिंदगी….
लिखूंगी तुमपर एक किताब
हर एक कोरे पन्नें पर उकेरुंगी
तेरे साथ बीते
हर लम्हें का हिसाब
ऐ जिंदगी…
लिखूंगी तुमपर एक किताब
कभी प्यार भरे मीठे प्रेमसिक्त एहसास
तो कभी टकरार में
आँसुओं से भीगी पलकें
जो बरसती रही सावन भर
दर्द बनकर नयनों से
ऐ जिंदगी…
लिखूंगी तुमपर एक किताब
नहीं करती है तू कभी
किसी पे रहम
हर किसी के हिस्से का अपना है गम
न कोई तेरा सगा
न कोई गैर
वक्त के हांथों बेचती है तू
हर एक इंशा को
और देखती है तमाशा चुपचाप
हंसने रोने का
ऐ जिंदगी….
लिखूंगी तुमपर एक किताब
बबली सिन्हा