ग़ज़ल 1
खाली पहाड को बर्फानी मत लिख ,
सूखी नदी को भरी पानी मत लिख ।
हम जो सह गये चुप चाप सब कुछ ,
उस को हमारी नादानी मत लिख ।
हो गया झूठ हमारा सच कहा ,
झूठ को सच की कहानी मत लिख ।
गिरी मुदरी मिरी उठा ली जो तूने ,
उसे मेरी दी निशानी मत समझ ।
फैसले को कचहरी लगेगी देखना ,
इसे दीक्षित की हुक्मरानी मत लिख ।
— सुदेश दीक्षित