प्रेम दर्शन….
मन के अंतहीन हिस्से में
परत दर परत
उफनता तुम्हारे यादों का समंदर
वक्त बेवक्त
परिवर्तित हो उठता तूफान में
मन मे बहता तेज हवाओं का झोंका
लेने लगता आकार सुनामी सा
एक अदृश्य आकर्षण…..
तुम्हारी ओर खिंचते चले जाने का
और क्षण भर में बदल जाता
अंतर्मन का वर्षों से थमा मौसम
पल्वन करता प्रेमसिक्त एहसासों में
मन का उदास सावन
बरसता एहसासों की रिमझिम फुहारे….
निरन्तर डुबोता चला जाता
जज्बातों के गर्त में….
छूने लगता हृदय…
प्रेम की गहराईयों को
स्थिर शांत सुकून तृप्त होता मन
जैसे लौकिक प्रेम दर्शन का सुख !!