*पर्यटक मान चित्र पर होते हुए भी उपेक्षित पड़ा विजेथुआ धाम*
करौदी कला। प्रसिद्ध धार्मिक स्थल विजेथुआ महावीरन धाम को सजाने सँवारने की लाख कोशिश के बावजूद यहा समस्याए मुह बाये खडी है। अव्यवस्था का आलम यह है कि सुन्दरी करण के नाम पर लाखो करोड़ों खर्च हो गए लेकिन समस्याएं जस की तस है। सामाजिक कार्यकर्ता देवेन्द्र तिवारी ने इस बाबत जब क्षेत्रीय पर्यटक अधिकारी से जानकारी चाही तो कागजी घोडे तो खूब दौडे पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सूरापुर के समीप विजेथुआ धाम स्थित है। इस पैराणिक धाम का उल्लेख हमारे प्राचीन धार्मिक ग्रथों में भी है। यहां पर श्रीराम भक्त संकट मोचन हनुमान जी का प्राचीन मंदिर है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीराम के अनुज (छोटे भाई) लक्ष्मण जी को शक्ति बाण लगने पर हनुमान जी इसी रास्ते से संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे, तब राक्षस राज रावण के आदेश पर कालनेमी नामक मायावी राक्षस अपनी माया से साधू वेश बनाकर छल से हनुमान जी को मारना चाहा, पर हनुमान जी उसकी माया को पहचान गए और उस मायावी राक्षस का इसी स्थान पर उसका वध कर दिया।
धार्मिक दृष्टि से इतिहास और वर्तमान में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला यह पावन स्थल सरकारी उदासीनता की वजह से पर्यटन के क्षेत्र में नाम मात्र का स्थान पा सका। इस धाम को लोकप्रिय पर्यटन स्थल का केन्द्र बनाने के लिए *जन जागृति कल्याण समिति* के अध्यक्ष सामाजिक कार्यकर्ता देवेंद्र कुमार तिवारी ने पर्यटन विभाग उत्तर प्रदेश से जनसुनवाई के माध्यम से जानना चाहा तो विभाग की तरफ से जो आख्या प्रस्तुत किया गया उसमें बताया गया कि 2008-2009 में 180.50 लाख की धनराशि सरकार की तरफ से दी गई है, जिससे मरम्मत के साथ-साथ सोलर लाईट व शौचालय आदि का निर्माण हुआ था। पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। यहां श्रद्धलुओं को भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। आख्या में आगे लिखा है कि मंदिर का विकास मंदिर समिति के द्वारा किया जाता है। यहां पर सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है, मकरी कुंड के आस-पास सीढ़ियों पर काई जमी रहती है, कुंड का पानी भी प्राय: गंदा ही रहता है, कूड़ा कचरा इधर-उधर फैला रहता है। यहां पर श्रद्धालुओं के ठहरने और उनके वाहन खड़ा करने की उचित व्यवस्था नहीं है, जिससे श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
— प्रदीप कुमार तिवारी
करौंदी कला, सुलतानपुर
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