कविता

कविता

ऐसा क्या हो गया
अपने ही दूर हो गये
गैरों में प्रेम-भाव
अपने द्वेष से भरे
ऐसी क्या खता हुई कि
अपने दूर चले गये!
याद है वो समय
जब सब भाई -बहनें
मिलकर साथ खाते थे
साथ में पढ़ना -लिखना
साथ में झगड़ा करना
एकसाथ की फुलवारियाँ
बिखर सी क्यों गई
ऐसी क्या खता हुई कि
अपने दूर चले गये!
था समय एक दिन
जब दादा-दादी, चाचा-चाची
रहा करते थे साथ मे
सबका दुलार प्यार
मिलता था साथ में
देखते ही दिन मे
क्यों खटास आ गई
ऐसी क्या खता हुई कि
अपने दूर चले गये!

बिजया लक्ष्मी

विजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।