तू भी बेवफ़ा निकला
बड़ी हसरत से आए थे, मिलने को ऐ दोस्त,
सारी दुनिया की तरह, तू भी बेवफ़ा निकला.
अब तक तो न कहीं भी, वफा का सिला मिला,
तुझसे भी ऐ दोस्त, गिला-ही-गिला मिला.
रहती यहां सदा को, कोई भी शै नहीं,
तूने समय से पहले, है अलविदा कहा.
किसी और से तो न थी, वफ़ा की हमें उम्मीद,
तूने मगर ऐ दोस्त, ज़फ़ा का सिला दिया.
न करता तू मेरी दुनिया को, आबाद ऐ दोस्त,
वाजिब न था यूं मुझको, बरबाद किया है.
आसां बहुत है सहना, गर्दिश-ए-जहां भी,
तूने मगर ये कैसा, ज़ुल्म-ओ-आज़ार किया है.
एक बार तो आ जाते, नाम को ही सही,
इक बार तो हम कह पाते, तूने करम किया है.
तेरी चमक से ही कभी, सितारों की चमक थी,
मुझ पर ही नहीं तूने, सितारों पर भी सितम किया है.
बेवफ़ा से वफ़ा की उम्मीद क्या करिए!
ख़फ़ा होने से भी क्या हासिल होगा नज़ारा करते चलिए.