धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

कब्रों द्वारा भारत के इस्लामीकरण का षड़यंत्र

कल कार्य विशेष से चंडीगढ़ गया था, आज वापिस आया हूँ। हरियाणा में मुसलमानों का एक गिरोह सुनियोजित तरीके से पीरों कि कब्रों को बनाने में लगा हुआ हैं। जिससे हिन्दू जनता को मुर्ख बनाकर उनके पैसे ठगे जा सके, मन्नत मांगने आई लड़कियों और औरतों को बहकाया या भगाया जा सके। हिंदुओं के मन में उन्हीं के महान पूर्वज श्री राम और श्री कृष्ण के प्रति अश्रद्धा उत्पन्न कर सके और उनका धर्मांतरण कर उन्हें मुसलमान बनाया जा सके।

ध्यानपूर्वक देखने पर सरलता से समझ आता है कि कब्र बनाने कि प्रक्रिया कैसे आरम्भ होती है?

पहले किसी सुनसान स्थान पर सड़क किनारे पेड़ों से नीली झंडियां बांध दी जाती हैं।

फिर वहाँ पर एक कच्ची कब्र बना दी जाती है।

कुछ दिनों के पश्चात उस कब्र को पक्का कर दिया जाता हैं।

फिर कहीं से एक मुसलमान वहाँ पर आकर बैठ जाता है। कुछ अगरबत्ती आदि जलाकर हाथ में झाड़ू लेकर दुआ मांगने लगता हैं।

उसका चेला सड़क पर बैठ कर टोकड़ी में फूल, अगरबत्ती , प्रसाद आदि बेचने लगता हैं।

कुछ समय पश्चात अक्ल के अंधे और धर्म की वास्तविकता से अनभिज्ञ हिन्दू लोग गाड़ियां रोक रोककर उस कब्र पर अपना माथा पटकने लगते हैं।

गरीब से गरीब, अनपढ़ से अनपढ़ मुस्लमान कभी हिंदुओं के अराध्या देवी देवताओं के प्रति श्रद्धा भाव नहीं दिखता और पढ़े लिखे हिन्दू सबसे अधिक मुसलमानों कि कब्रों पर सर पटकते हैं।

1947 में हरियाणा से सभी कब्रों का सफाया कर दिया गया था। आज फिर से हर सड़क के किनारे, हर बड़े संस्थान के निकट कब्रें कुक्कुरमुत्तों के समान उगने लगी हैं।

ऐसी जाति का भविष्य कैसे सुरक्षित हो सकता है जिसने इतिहास से कुछ नहीं सीखा और जो वर्त्तमान में मूर्खतापूर्ण कार्य करने से पीछे नहीं हट रही है?

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डॉ विवेक आर्य