वह भगवान महावीर कहलाये
महावीर जयंती के पावन अवसर पर विशेष
12 वर्ष तपस्या करके,
मुखमंडल आभामय हो जाये,
आत्मज्ञान से जो दीपित हो,
वह भगवान महावीर कहलाये.
तम की परवाह करे न तनिक भी,
दीप-ही-दीप जलाता जाये,
भटके को जो राह दिखाए,
वह भगवान महावीर कहलाये.
सत्य सदा निश्छल रहता है,
दुनिया को यह राह दिखाये,
खुद निर्भय हो निर्भय कर दे,
वह भगवान महावीर कहलाये.
अहिंसा की राह पे चलकर,
औरों को चलना सिखलाये,
आनंद की निर्झरिणी जो बहाये,
वह भगवान महावीर कहलाये.
महावीर जयंती के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं. खुशहाली और बंधुत्व के लिए भगवान महावीर के ये सिद्धांत सत्य और अहिंसा के उपासक थे. आज भी प्रासंगिक हैं. भगवान महावीर ने कहा-
आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य में संन्यास का मतलब- संसार से कट-ऑफ हो जाना नहीं है. अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सामाजिक बुराइयों के कीचड़ में खिले कमल की भांति पृथक रहना ही असली संन्यास और कैवल्य-ज्ञान का मार्ग है. भगवान महावीर ने पांच महाव्रतों- सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य को गृहस्थों के लिए सरल ढंग से पालन करने का विधान प्रस्तुत किया.