लघुकथा

‘भरोसे का लुटेरा’

फैक्ट्री मालिक के ड्राइवर ने उस रोज पुलिस को कॉल करके बताया-

”विवेक विहार अंडरपास के नीचे बाइक सवार चार बदमाशों ने मेरी गर्दन और हाथ पर ब्लेड मारकर 14 लाख रुपये लूट लिए हैं.”

मालिक परेशान, पुलिस हैरान. सरेशाम वारदात ने पुलिस के पसीने छुड़ा दिए. जांच को आगे बढ़ना था, सो आगे बढ़ी. जांच में पता चला-

”14 लाख लूट की कहानी झूठी थी. कहानी बुनने वाला ही ‘भरोसे का लुटेरा’ निकला. उसने खुद को ब्लेड से घायल करके लूटपाट की कहानी रची. 14 लाख रुपये मालिक के बंद घर में छिपा दिए, जिसकी चाभी उसके पास रहती है. मामला ठंडा पड़ने पर वह सारे रुपये कब्जे में कर लेता. आरोपी रामू को अरेस्ट कर रुपये रिकवर कर लिए गए हैं.”

कहते हैं न! ”झूठ के पर नहीं होते.” यहां तो झूठ के भी पर निकल आए. पुलिस ने अंडरपास के दोनों साइड पर सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले. एक में रामू अंडरपास वाली रोड पर 7 बजकर 2 मिनट पर एंट्री करता नजर आया. दूसरी फुटेज में 45 मिनट बाद उस रोड से निकलता देखा गया. उसने पुलिस को बताया कि बदमाशों ने करीब 7:30 के आसपास महज पांच मिनट में वारदात को अंजाम दिया था.

ड्राइवर ने मालिक और पुलिस को ‘मूर्ख’ बनाने की कोशिश की. वह भी उस रोज, जब दुनिया ‘अप्रैल फूल’ यानी ‘मूर्ख दिवस’ मना रही थी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “‘भरोसे का लुटेरा’

  • लीला तिवानी

    ‘अप्रैल फूल’ कौन?
    ड्राइवर के मालिक और पुलिस को ‘मूर्ख’ बनाने की कोशिश में वह खुद ही ‘अप्रैल फूल’ यानी मूर्ख बन गया, वह भी उस रोज, जब दुनिया ‘अप्रैल फूल’ यानी ‘मूर्ख दिवस’ मना रही थी. अब वह पुलिस की हिरासत में है. आरोपी के खिलाफ पुलिस को झूठी सूचना देने से संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया गया है. रामू 14 लाख का नहीं, भरोसे का लुटेरा था.

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