लघुकथा

ध्यानी बाबा

इधर कुछ दिनों से राम जानकी का छोटा सा मंदिर भक्तों के आकर्षण का केंद्र बना था। मंदिर में कहीं से एक बंदर आ गया था जो चौबीसों घंटे मंदिर की चौखट पर बैठा रहता था। देख कर ऐसा लगता था जैसे ध्यान में लीन हो।
लोग के बीच वह ध्यानी बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो गया था। सब कहते थे कि कोई सिद्ध महात्मा वानर योनि में पैदा हो गए हैं। मंदिर का पुजारी उनकी सेवा करता था।
अपनी मनोकामना लेकर दूर दूर से लोग उनके दर्शन को आते थे। चढ़ावा चढ़ाते थे। एक निसंतान जोड़ा अपनी फरियाद लेकर आया था। पत्नी ने अपना दुख बाबा से कहा तो अचानक वह कुछ चैतन्य हुए। पुजारी बोला।
“बाबाजी ने आपकी सुन ली। वह ध्यान से उठे हैं। यह उनके भोजन का समय हैं।”
वह भीतर गया और बाबाजी के विशेष लड्डुओं की थाली लाकर उनके समक्ष रख दी।
लड्डू खाकर बाबाजी पुनः ध्यानलीन हो गए।

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है