खोखलापन
देखते-ही-देखते बीच बाजार आगरा की एक इमारत अचानक भरभराकर धराशायी हो गई. पहली बार में यह समझना मुश्किल है कि ऐसा क्यों हुआ, लेकिन जब वजह सामने आई तो लोगों के होश उड़ गए. दरअसल, कई साल से इमारत के नीचे बिल बनाते-बनाते चूहों ने इसकी नींव को इतना कमजोर कर दिया था, कि तीन-मंजिला यह इमारत रविवार को जमींदोज हो गई.
सुनील ने भी यह खबर पढ़ी. उसे याद आया, कि उसका व्यापार भी कुछ इसी तरह खोखला हो गया था. उसके बुआ के बेटे ने कहा था- ”बड़े भैया, आपके बिजनेस में तो बहुत तरह के काम हैं, कुछ मेरे लिए जुगाड़ भी कर दीजिए न! बस यही जुगाड़ उसके लिए मुसीबत बन गया था. नौबत यहां तक पहुंच गई, कि एक दिन उसका एक लाख रुपये का चेक वापिस आ गया. अकाउंट खाली था, बुआ का बेटा भी फरार था, देनदार नदारद थे, लेनदार दरवाजा रोके खड़े थे. उसे चारों ओर खोखलेपन के सिवाय कुछ नजर नहीं आ रहा था
अक्सर ऐसा होता देखा गया है कि जिसको सहारा दो, वह जिस थाली में खाता है, उसी में न केवल छेद करता है, बल्कि उसे पूर्णतया खोखला कर देता है और भनक भी नहीं पड़ने देता.