राजनीति

नोटा पर ध्यान देने की आवश्यकता

चुनाव आयोग ने चुनावों में नोटा का विकल्प इसलिए दिया था कि यदि कोई मतदाता किसी भी उम्मीदवार को पसन्द नहीं करता, तो वह सभी को अस्वीकृत करने का अपना मत दे सके। यह एक अच्छी शुरूआत थी, लेकिन बस वहीं तक रह गयी। पहले इक्का-दुक्का लोग ही नोटा विकल्प का उपयोग करते थे, लेकिन जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ रही है, इसका उपयोग करने वाले मतदाताओं की संख्या भी बढ़ रही है। लेकिन खेद की बात यह है कि वर्तमान में नोटा को डाले गये मतों को अवैध मतों से अधिक महत्व नहीं दिया जाता और एक प्रकार से उनको कूड़े के ढेर में फेंक दिया जाता है। अब समय आ गया है कि नोटा पर भी ध्यान दिया जाये और उनको चुनाव में महत्व दिया जाए।

पिछले दिनों कर्नाटक में जो चुनाव हुए उनमें कई सीटों पर नोटा को पड़े मतों की संख्या न केवल अनेक दलीय और निर्दलीय उम्मीदवारों से अधिक रही, बल्कि हार-जीत के अन्तर से भी अधिक रही। ऐसा लगभग 8 सीटों पर हुआ और आश्चर्य की बात यह रही कि इन सभी सीटों पर हारने वाला उम्मीदवार भाजपा का था। इसका तात्पर्य है कि नोटा को डाले गये मत ऐसे मतदाताओं के थे, जो भाजपा समर्थक थे, परन्तु उससे किसी कारणवश असंतुष्ट थे और किसी अन्य उम्मीदवार को वोट देना नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने नोटा का बटन दबा दिया। यदि नोटा का विकल्प न होता, तो वे भाजपा को ही मत देते और भाजपा ये 8 सीटें जीत जाती अर्थात् उसका बहुमत हो जाता।

चुनाव आयोग को अब नोटा को पड़े मतों को भी महत्व देना चाहिए। इसलिए नहीं कि भाजपा को बहुमत मिलने से रह गया, बल्कि इसलिए कि प्रत्येक मतदाता के मत का महत्व है और नोटा को मत देने वाले मतदाता कहीं अधिक जागरूक हैं। इसलिए अब ऐसा नियम बनाना चाहिए कि यदि किसी क्षेत्र में हार-जीत का अन्तर नोटा को डाले गये मतों से कम हो, तो उस चुनाव को रद्द करके उस क्षेत्र में फिर से चुनाव कराना चाहिए। उस चुनाव में सभी पुराने उम्मीदवारों को कम से कम 5 साल के लिए चुनाव लड़ने से रोक देना चाहिए और केवल नये उम्मीदवारों में से चुनाव कराना चाहिए।

यह प्रक्रिया तब तक जारी रखनी चाहिए, जब तक कि सही प्रतिनिधि का चुनाव न हो जाये।

विजय कुमार सिंघल
ज्येष्ठ प्रथम शु 5, सं 2075 वि (20 मई 2018)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]

3 thoughts on “नोटा पर ध्यान देने की आवश्यकता

  • लीला तिवानी

    प्रिय विजय भाई जी, नोटा पर दी गई जानकारी व सुझाव एकदम सटीक व सार्थक लगे. सटाक लेखन द्वारा जाग्रुकता व विकास के प्रयास के लिए हार्दिक आभार.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    विजय भाई , यह नोटा पहली दफा सुन रहा हूँ लेकिन यह बहुत अछि बात है कि किसी अंधविश्वास से निकल कर वोटर सही मत दे .

    • विजय कुमार सिंघल

      धन्यवाद भाईसाहब ! नोटा “None Of The Above” का संक्षेप है. यह बहुत अच्छा विचार है. जब कोई सभी उम्मीदवारों को रद्द करना चाहता है तो यह बटन दबा देता है. लेकिन वर्तमान में ऐसे वोट अवैध वोटों की तरह ही फेंक दिए जाते हैं. उनको उचित महत्त्व दिया जाये यही मैं चाहता हूँ.

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