अभिलाषा
छोटे-छोटे बालक हैं हम,
काम मगर करते हैं महान,
मत समझो कमजोर हमें तुम,
साहस में ही अपनी शान.
आंधी-पानी-तूफानों से,
डर जाएं जो हम वो नहीं,
बाधाएं कितनी भी आएं,
हमको उनका गम है नहीं.
नदियां हों या पर्वत-खाई,
हमें डरा नहीं पाएंगे,
ताकत के पुतले बनकर हम,
आगे बढ़ते जाएंगे.
हम हैं अपने देश की आशा,
प्रेम-प्यार है अपनी भाषा,
दुखीजनों के शूल हटाएं,
यह ही है अपनी अभिलाषा.
हममें से थे भगत-हकीकत,
हममें से थे वीर शिवा,
गांधी-नेहरू-तिलक-गोखले,
जो थे देश के स्वप्न दिवा.
आजादी के हम सैनिक थे,
अब आजाद देश के वासी,
आजादी अक्षुण्ण रखने को,
तन-मन-धन से हम हैं प्रयासी.
बहुत अच्छी रचना, बहिन जी !
प्रिय विजय भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको बाल गीत बहुत अच्छा लगा. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
छोटे बच्चों की छोटी-सी अभिलाषा-
भारत मां हम बालक तेरे,
सेवा का संकल्प लिया है,
संकल्प से सिद्धि मिलती है,
इस पथ का अनुसरण किया है.