गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

सुर्ख रंगों में लिपटी हुई मैं यहाँ
लाख काँटों में उलझी उई मैं यहाँ

सांसें भी तेरी चौखट पे अब कैद है
हूँ उजालों में सहमी हुई मैं यहाँ

रोज करती हूँ कीमत अदा इक नई
जर्रा जर्रा हूँ बिखरी हुई मैं यहाँ

अनगिनत दर्द हैं और हैं मुश्किलें
फिर भी चिड़िया सी चहकी हुई मैं यहाँ

हैं कई रंग ‘आतिश’ सभी पर चढ़ा
हूँ रिवाजों में जकड़ी हुई मैं यहाँ

अर्चना शर्मा ‘आतिश’

अर्चना शर्मा 'आतिश'

म.नं. 351/3 मोहल्ला अमरपुर नाहन , जिला सिरमौर हिमाचल प्रदेश 173022 शिक्षा विशिष्ट शास्त्री, एम ए संस्कृत, बी एड, एम ए अंग्रेजी