कविता

पप्पू के अनमोल बोल

कोई पप्पू बुलाता है, कोई आऊल समझता है,
मगर यूं मेरी नाकामी को पुरा विश्व समझता है।
यूं कुर्सी दूर मुझसे हैं, मैं कुर्सी से दूर कैसा हूं,
मेरी पार्टी समझती हैं, या फिर खुद समझता हूं।

कभी मैं जनेऊधारी हूं, कभी मैं इफ्तारकारी हूं,
धर्मों की इज्जत नहीं करता, बड़ा ही संस्कारी हूं।
चाहे जो संज्ञा दो मुझे, पार्टी का विनाशकारी हूं,
मां का कहना नहीं मानू, बेटा मैं आज्ञाकारी हूं।

जिसके भी साथ हो लू मैं, लुटिया उसकी डूबो दूंगा,
भरी नदियों का पानी भी अपने पापों से सुखों दूंगा।
जिम्मेदारी खुद कि ना मैं लूं, भला तुम्हारी क्या लूंगा।
करने जो हार का सामना, तो मैं इटली को हो लूंगा।

नहीं कुछ कर सकता मैं, नहीं तुमको करने दूंगा,
तुम पर हो देश को विश्वास, मैं अविश्वास ला दूंगा।
भले ही बना मेरा मजाक पता है हूं इसी काबिल,
पक्ष में भूकंप ना आये, विपक्ष में भूचाल ला दूंगा।

संजय सिंह राजपूत
8125313307
8919231773

संजय सिंह राजपूत

ग्राम : दादर, थाना : सिकंदरपुर जिला : बलिया, उत्तर प्रदेश संपर्क: 8125313307, 8919231773 Email- sanjubagi5@gmail.com