यात्रा वृत्तान्त

संस्मरण : नवद्वीप से मायापुर की मेरी यात्रा

यात्रा का आनंद हमारे जीवन को ख़ुशी देने के साथ -साथ जीवन में एक नई ऊर्जा संचालित करती है | एवं यात्रा के विभिन्न आयामों में नौका विहार करते हुए प्रकृति की अनूपम सौंदर्य और गंगा की जल की धारा दोनों मिलकर हमारे जीवन को एक अनोखे रोमांच से भर देती है | नौका विहार करते हुए गंगा माँ की जल धार के साथ -साथ हम ज्यूँ -ज्यूँ आगे की ओर जाते हैं प्रकृतिक सौंदर्य का अवलोकन और दूर से दिख रही मायापुर नगरी अपनी सुंदर छटा को पत्यक्ष रूप से देखने का सुख प्रदान करती है | इस कारण नवदीप से मायापूर नौका विहार के ये कुछ विशेष पल मैं अपने मनमंदिर हमेशा संजोये रखना चाहती हूँ|
    कुछ दिनों पहले मुझे प्रथम बार नौका पर नवदीप से माया की यात्रा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | नौका पर गंगा की जल मार्ग की यात्रा मेरे लिए एक अनोखे सुखद अहसास से कुछ कम न थी | मैं बहुत ही प्रसन्न थी क्योंकि में पहली बार नौका विहार कर रही थी | और साथ में माता -पिता और अपने भाई – बहन और पूरा परिवार का साथ मिल जाए तो यात्रा का आनंद दुगुना हो जाता है | नौका पर जल मार्ग से नवदीप से मायापूर 10-15 मिनट का रास्ता है | नौका पर मनुष्योँ और सवारियों के साथ -साथ पशु भी यात्रा करते नज़र आये | जैसे ही नौका चलनी प्रारम्भ हुई पूरा नज़ारा सुंदर लगने लगे | दूर दूर तक फैली हरियाली और गंगा जल की लहरें मानों बांहे पसार हमारा स्वागत कर रही हों | नौका पर विभिन्न जाती वर्ग के लोग बैठे हुए हैं और सभी प्रकृति के सुन्दर नज़ारों का अवलोकन कर रहे हैं | सुबह जब हम नौका से नवदीप से मायापुर के लिए निकले उस समय प्रकृति की सौंदर्य की छठा अलग थी और जब हम रात को मायापुर की यात्रा कर वापस नवदीप लौटे उस समय गंगा के घाट की जगमगाती रौशनी और चाँद सितारों की मानों एेसा प्रतीत हो रहा था कि उनकी आपस में जुगल बंदी चल रही हो | दूर से प्रतीत होती टिमटिमाती रौशनी गंगा घाट की सुंदरता में चारचांद लगा रही थी | और नौका विहार का रोमांच अपने चरम पर स्थिर था |
    नवद्वीप श्री चैतन्य महाप्रभु की पावन जन्मस्थली है एवं पश्चिम बंगाल प्रदेश के नदिया जिले में स्थित हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल है | नवद्वीप धाम स्टेशन हाबड़ा से करीब छियासठ मील की दूरी पर अवस्थित है | ये स्टेशन से मात्र एक मील की दूरी पर ही नवद्वीप शहर बसा हुआ है | स्टेशन से नवद्वीप शहर जाने के लिए ऑटो एवं टोटो आदि वाहनों की सुविधाएँ बहुतायत में उपलब्ध हैं | शहर में यात्रियों की सुविधा के लिए कई भोनाश्रम एवं रहने के कई मठ भी हैं | नवद्वीप में कई प्रमुख मंदिर हैं सोनार गौरांग मंदिर एवं पोड़ामाँ मंदिर काफी जागृत एवं प्रसिद्ध मंदिर मानी जाती है | सालों भर दूर -दूर से तीर्थयात्री दर्शन के लिए आते हैं | मायापुर अपने भव्य एवं शानदार मंदिरों के लिए पूरे विश्व में विख्यात है | मायापुर पश्चिम बंगाल प्रदेश के नदिया जिले के गंगा नदी के किनारे बसा हुआ एक छोटा साहै एवं नवद्वीप के समीप है |
   मायापुर शहर कोलकाता से करीब एक सौ तीस किलोमीटर की दूरी पर उत्तर की ओर स्थित है | मायापुर में स्कॉन मंदिर काफी भव्य एवं विशाल मंदिर है | मायापुर के स्कॉन समाज द्वारा निर्मित स्कॉन मंदिर विश्वविख्यात है | लोग दूर- दूर से स्कॉनमंदिर के दर्शन के लिए यहाँ पधारते हैं | यहाँ श्री कृष्ण एवं अष्टसखीयों की सुन्दर वस्त्रों एवं आभूषणों से सुसज्जित प्रतिमाएं एकदम से मन को मोह लेती हैं | मंदिर के एक ओर महापभु श्री चैतन्य एवं उनके अनुयायिओं की की सुंदर वेशभूषाओं से सुसज्जित घातु से प्रतिमाएं तो दूसरी ओर नरसिंह महाराज की प्रतिमा है | गेट के अंदर प्रवेश करते ही श्री श्रीकृष्ण एवं अष्टसखियों की पत्थरों से बनी प्रतिमाएँ सुंदर वस्त्रों एवं आभूषणों से सुसज्जित अपनी अलौकिक छटा बिखेरती जिवंत रूप में प्रतीत होती हैं | यहाँ तीनों प्रहर मंगल आरती होती है एवं ‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण , कृष्णा , कृष्णा हरे हरे ‘ की मंगल ध्वनि से सारा मंदिर का प्रांगण भक्तिमय हो उठते हैं | यहाँ होने संध्या आरती देखने लायक होती है | विदेशी पर्यटक हरे कृष्ण की धुन गाते और भाव होकर नृत्य करते लोगों के मन मोह लेते हैं | भोर चार बजे प्रथम मंदिर में प्रथम मंगल आरती होती है | तीनों प्रहर प्रतिमाओं की सुंदर रूप सज्जा देखते ही बनती है | माया नगरी मायापुर के एक खास विशेषता यह है कि यहाँ आनेवाले श्रद्धालु अपना दुःख दर्द भूलकर कृष्ण भक्ति का अमृतरस का पान करते हैं | मन को सुकून की अनुभूति होती है एवं यहाँ की माया एेसी की सभी कृष्णमय हो जाते है और कृष्णभक्ति अमृत लेकर अपने गंतव्य की ओर लौटते हैं | माया नगरी मायापुर बार -बार जाने का मन होता है |
विनीता चैल

विनीता चैल

द्वारा - आशीष स्टोर चौक बाजार काली मंदिर बुंडू ,रांची ,झारखंड शिक्षा - इतिहास में स्नातक साहित्यिक उपलब्धि - विश्व हिंदी साहित्यकार सम्मान एवं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित |