कविता

कविता – हृदय अब तो आखे खोल !!

हृदय अब तो आखे खोल !!

जिस राधा का प्यार तु देखा ,

दुर्गा का अबतार भी देखा,

लछमी बाई की तलवार को देखा,

वो धरती कयो है बेहोश ।

हृदय अब तो आखे खोल !!

नारी का अपमान घटा है,

जीवन मे संग्राम बढ़ा है,

कलयुग सीना तान खड़ा है,

कैसा बिगड़ गया भूगोल ।

हृदय अब तो आखे खोल !!

सीता गीता की परवाह नही है,

दिखती कोई आह नही है,

क्या कोई अब राह नही है,

सवारथ वाले सबके बोल,

हृदय अब तो आखे खोल !!

क्या नारी  की शान नही है,

क्या इसका अब गयान नही है,

क्या माता पर अभिमान नही है,

मत इसको तू हल्का तौल।

हृदय अब तो आखे खोल !!

हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से