हास्य व्यंग्य

सुन्दरता पर अवैध कब्जा

अब तो यहां पर सरकार ने भेद भाव खत्म कर दिया है महिला हो या पुरूष सभी को एक समान व एक ही नजर से देखा जा रहा है, यहां पर एक नजर से देखने का मतलब यह नही कि सरकार हमारी कानी है उसकी नजर में चाहे महिला हो! या पुरूष! दोनों एक समान हैं। इस युग में सबसे बडा भेद भाव था महिला पुरूष का! जो आज की सरकार ने उसे नेस्तनाबूत करके उसके परखच्चे उड़ा दिये हैं, फिर भी ग्रामींण क्षेत्र की महिलाओं में अभी पूरी तहर से इस गगनचुम्बी विकास कि किरण नही पहुंच पा रही है जिसके कारण यहां के लोंग महिलाओं को केश व उनकी पोशाक से अभी भी महिला समझ रहे हैं! इस प्रकार की समझ से ग्रामींणांचल की महिलाये काफी आहत दिखती है ! वहीं दूसरी ओर शहरी परिवेश की बात की जाये तो वहां की महिला अथवा पुरूष में कोई अन्तर नही दिख रहा है! वेष भूषा, पहनवा लगभग एक हो चुका है दूर दराज मंे कही कहीं दाढ़ी मूछें दिख जातीं हैं बस वह भी एक्का दुक्का! नही तो ज्यादा तर मैदान सफाचट्ट ही रहता है। फिर सभी लोग गला फाड़ रहें हैं और कहते है कि विकास नही हो रहा है ? अब हर तरफ विकास ही विकास तो हो गया है! मुन्नी कहीं देखने को नही मिल रही है! अब चिल्लाने वालों को कौन बताये कि यह विकास का ही नतीज है! कि आज की महिलाएं सड़कों पर उड़ रहीं हैं और आसमानों पर चल रहीं हैं फिर भी महिलाओं के अंदर व्याप्त भेद भाव नही खत्म हो पाया है जिसके लिये कई बार! कई जगहों! पर पुरूषों के दिल में दौरा पडने जैसे संभावना उत्तपन्न होनें लगती है।

इस जमाने में कई जगहें ऐसी है जहां पर परमपिता ब्रम्हा जी के आशीर्वाद से देव शिल्पी विश्वकर्मा आज भी साक्षात मौजूद रहते हैं, वो इसलिये रहते हैं कि ब्रम्हा जी को रातोदिन निर्माण कार्य में लगे रहने के कारण कहीं कहीं कोई न कोई कमीं रह जाती है जिसके कारण कई लोग ब्रम्हदेव को कोसने लगते हैं! कि उनको कितना अच्छा रंग रूप दे दिया है, और सारी दुश्मनी मुझ से ही अदा कर ली है! इस प्रकार की निरंतर मिल रही कई शिकायतों के कारण ब्रम्हदेव ने भू-लोक में ब्यूटी पार्लर की उत्तपत्ति कर दी! इस पार्लर में उनके द्वारा छूटी कमियों को पूरा करने का काम किया जा रहा है। किन्तु वर्तमान समय में सौन्दर्य प्रसाधनों पर महिलाओं का ही कब्जा हो गया है इतना ही नही इनके अंदर अभी भी भेद भाव प्रचुर मात्रा में देखने को मिलता है! ब्रम्हदेव के इन कायाकल्प केन्दों पर महिलाओं का अवैध कब्जा पूरी तरह से कायम है! इनकी दादागिरी तो तब समझ में आती है जब कोई पुरूष इन केन्दों पर जानें की कोशिश करता है! तो पहले ही लिखा रहता है कि सिर्फ महिलाओं के लिये! यह पढ कर पुरूषों के सीने पर सांप लोटने लगते है और केन्द्र के दूर से दर्शन करके मायूस लौट जाते हैं।

आधुनिक युग में भी इतना बडा भेद भाव भला काहे! जब इन केन्द्रों पर जामुन को छीला आलू बना दिया जाता है ! झाड़ीनुमा खोपड़ी को सुन्दर गमलें में ढाल दिया जाता है! तो इतना सब कुछ कर लेने के बावजूद ? पुरूषों के प्रति इनके अन्दर इतना भेद भाव कूट कूट कर भरा होता है कि वह किसी लंगूर को संतूर नही बना सकती हैं! कि बेचारा वह भी अच्छे सुर निकाल सके! किसी गीत में अपना संगीत ढाल सके! खुद के लिये वह इतने माहिर होतें है कि अपने व अपनों को ऐसा बदल कर रख देते है कि यमदूत भी एक बार चक्कर में पड़ जातें है कि ? जिस महिला की जान निकालने लिये भेजा गया है वह यह है की नही, यमराज से काफी संवाद करने के बावजूद जब मामला नही बदलता है तो यमदूत अपने सिर पर हाथ रखकर बैठ जाते हैं! और काफी सोचने के बाद जब उनको ख्याल आता है तो वह एक लोटा पानी मुंह पर डालते हैं तब जाकर आंडी तिरछी डिजाईन उनके फोटों से मेल खाती है काफी जद्दोजहद करने के बाद तब यमदूत प्राण निकालने में कामयाब हो पाते हैं। इस प्रकार से वह यमदूतों को धोखा देतीं हैं और पुरूषों के साथ भेद भाव करती है, यह कैसा एकतरफा विकास है।

-राज कुमार तिवारी राज

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782