गीत/नवगीत

चिंता छोड़ करो चिंतन…

कुछ भी नही असम्भव जग में, जब करने की ठाने मन।
चिंता छोड़ करो चिंतन बस, चिंता छोड़ करो चिंतन।।

जीवन के पथरीले पथ पर, कष्ट सहन कर चलते रहना।
काली अँधियारी रातों में, दीपक बन कर जलते रहना।।
एक रोज मंजिल पाता है, करता है जो पूर्ण जतन…
चिंता छोड़ करो चिंतन बस, चिंता छोड़ कर चिंतन…

मन की इस बंजर धरती पर, उम्मीदों की पौध लगाएं।
सींच उन्हें आशा के जल से, चाहत वाले फूल उगाएं।।
मन में जब सदभाव जगेगा, तन हो जाएगा चंदन…
चिंता छोड़ करो चिंतन बस, चिंता छोड़ करो चिंतन…

आज दीप के जैसा जलना, कल को उज्वल कल देता है।
श्रम का कल्पतरू निश्चित ही, आशाओं के फल देता है।।
मन को जगा शीत निद्रा से, रहते समय करें चेतन…
चिंता छोड़ करो चिंतन बस, चिंता छोड़ करो चिंतन…

आहों में हो असर अगर तो, निष्ठुर पत्थर भी पिघलेगा।
मनोयोग से यत्न करो तो, हर मुश्किल का हल निकलेगा।।
दुख होगा तो सुख भी होगा, नाम इसी का है जीवन…
चिंता छोड़ करो चिंतन बस, चिंता छोड़ करो चिंतन…

सतीश बंसल
१२.०९.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.