संयोग पर संयोग-1
संयोग तो जिंदगी में होते ही रहते हैं. संयोग कैसे-कैसे! ब्लॉग में अनेक संयोग उभरकर आए. कुछ पाठक-कामेंटेटर्स ने भी संयोग के किस्से लिखे. बात पर बात निकलती है, संयोग पर संयोग. आइए उनका भी लुत्फ़ उठाएं.
आगे चलने से पहले हम आपको बताना चाहते हैं, कि ”संयोग कैसे-कैसे!” ब्लॉग हमारे पाठक-कामेंटेटर सुदर्शन खन्ना द्वारा भेजे गए संदेशों से ही सृजित हो पाया था. फिर हमें प्रोत्साहित करने को उन्होंने लिखा-
”संयोग..क्या ज़बर्दस्त श्रंखलात्मक शीर्षक खोजा है. आप ही इसकी प्रणेता रहेंगी.”
इस प्रकार संयोग पर लिखा गया यह ब्लॉग भी संयोग से ही लिखा गया था. संयोग से ही अच्छे मित्र मिलते हैं, संयोग से ही सफलता भी मिलती है, अन्यथा खूब मेहनत और लगन से किए गए कार्य भी सफलता नहीं दिला पाते. सुदर्शन भाई के ”ज़बर्दस्त श्रंखलात्मक शीर्षक” शब्दों से पुनः प्रेरणा मिली और सचमुच एक श्रंखला शुरु हो रही है- संयोग पर संयोग. प्रस्तुत है इस श्रंखला का पहला भाग-
एक संयोग मेरी पत्नी के भाई के जीवन में भी है उसके एक पुत्र का जन्मदिन 4 अगस्त, पत्नी का 5 अगस्त, दूसरे पुत्र का 6 अगस्त. यानी 3 दिन तक पार्टी.
इंद्रेश उनियाल
इंद्रेश भाई, संयोग पर संयोग तो ऐसे ही बनते हैं. हम 6 जून को अपनी बहू का जन्मदिन मनाते हैं, तो 7 जून ”मस्त रहें, व्यस्त रहें” वाले सूर्यभान भान भाई का, 20 नवंबर को अपने विवाह की सालगिरह मनाते हैं, तो 21 नवंबर को अपनी बहिन के विवाह की, 28 नवंबर को अपने भाई के विवाह की सालगिरह मनाते हैं, 29 नवंबर को स्वास्तिक भाई के विवाह की, 7 दिसंबर को अपने सुपुत्र के विवाह की सालगिरह मनाते हैं, 8 दिसंबर को सुदर्शन भाई के विवाह की. हैं न अजब संयोग!
इसके अतिरिक्त हमारे एक पाठक-कामेंटेटर भाई हैं डॉ. स्वास्तिक जैन. संयोग से उनका जन्मदिन है- 29 मई और विवाह की सालगिरह- 29 नवंबर, यानी पूरे 6 महीने बाद उसी तारीख को उत्सव. ऐसा ही संयोग हमारी बहू के साथ भी है- 7 जून को जन्मदिन और 7 दिसंबर को विवाह की सालगिरह.
इसी तरह हमारी बहू का जन्मदिन 7.6 को होता है, पोते का 8.7 को और हमारा 10.9 को.
‘संयोग पर संयोग’ ब्लॉग पर हमारे एक पाठक-कामेंटेटर गुरमेल भमरा और हमारा रोचक संयोगात्मक वार्तालाप. आजकल गुरमेल भाई के पास अपना ब्लॉग आ नहीं रहा, इसलिए हम अपने ब्लॉग ‘जय विजय’ की साइट पर भी डालते हैं. हमारा यह रोचक संयोगात्मक वार्तालाप ‘जय विजय’ की साइट पर ही हुआ.
एक संयोग यह भी है, कि मेरी, मेरी एक बहिन और भाई की शादी नवंबर में हुई, एक देवर की शादी भी नवंबर में हुई, हमारे एक पाठक-कामेंटेटर की शादी भी नवंबर में हुई, जिनके विवाह की सालगिरह पर आप हर साल विशेष सदाबहार कैलेंडर पढ़ते हैं.
— लीला तिवानी
संयोग के ये किस्से बहुत अद्भुत लगे. हमारा तो बस एक ही है, मेरा जन्म दिन और हमारी शादी की तरीख यानी 14 अप्रैल. हम तो इस से ही संतुष्ट हैं.
गुरमेल भमरा
आपका एक संयोग ही हजार के बराबर है. अधिक संयोग हम बताए देते हैं. आपका और तिवानी साहब का जन्म 1942 में हुआ, कुलवंत जी का और मेरा 1946 में. आपका और हमारा विवाह 1967 में हुआ. कहिए, कैसी रही!
लीला तिवानी
वाह-वाह, लीला बहन यह बात तो मेरे दिमाग में आई ही नहीं! यह संयोग तो बहुत अच्छा लगा. 1967 में ही ये शादियां, बहुत अच्छा संयोग है और भाई साहब और मेरा भी. कुदरत का कमाल है यह.
गुरमेल भमरा
और सुनिए-हमारी बिटिया का जन्म भी 1969 में और मनजीत कौर जी का भी.
लीला तिवानी
वाह, यह एक और कमाल हो गया. हमारी पहली बिटिया का जन्म 1968 में हुआ था और दूसरी का 1969 में हुआ था. बेटे का 1972 में हुआ था.
गुरमेल भमरा
हमारे बेटे का जन्म भी जनवरी 1972 में हुआ.
लीला तिवानी
वाह, क्या इतफाक है!
गुरमेल भमरा
देखें संयोग की यह श्रंखला कहां तक चल पाती है, बहरहाल आप अपने, अपने आस-पास के, अपने रिश्तेदारों-मित्रों के अद्भुत संयोग लिखकर भेज सकते हैं.
हमारे पास संयोग पर संयोग के अनेक किस्से हैं, आपके पास भी होंगे. हम तो आपके साथ ये किस्से साझा करते ही रहेंगे, आप भी कामेंट में अपने किस्से साझा कर सकते हैं.