मुक्तक/दोहा

मुक्तक

खुद को खुदा समझने वाले, अहंकार में फँस जाते हैं,
छोटी-छोटी बातों पर भी, गुस्से से वो लस जाते हैं।
अन्धकार में दीप जलाकर, जग को रोशन करने वाले,
मानवता हित जीने वाले, अक्सर खुदा सा बन जाते हैं।

डॉ अ कीर्तिवर्धन