गीत/नवगीत

दूर हुये हैं तुमसे अब हम

दूर हुये हैं, तुमसे अब हम, चाहो तो, खुश हो लेना।
याद कभी आ जायें तुमको, हँसना चाहें रो लेना।।
अब सपनों में ना आयेंगें, रातों को ना जगायेंगे।
बेफ़िकरों से बच्चों जैसे, जगना चाहें सो लेना।।

दूर हुये हैं तुमसे अब हम ……………………………………….

छोटी छोटी बात बताई, नैनों की बरसात कही।
प्यार मुहब्बत में अक्सर ही उजले दिन को रात कही।
भूल जा उनको उन यादों को और किसी के हो लेना।
याद कभी आ जायें तुमको, हँसना चाहें रो लेना।।

दूर हुये हैं तुमसे अब हम ……………………………………….

चाँद सितारें भी संग में हों और दमकती रात मिले।
पड़े जहाँ भी कदम तुम्हारें फूलों की सौगात मिले।
खो जायेंगें हम भी हम खुद में, तुम खुशियों में खो लेना।
याद कभी आ जायें तुमको, हँसना चाहें रो लेना।।

सौरभ दीक्षित मानस

नाम:- सौरभ दीक्षित पिता:-श्री धर्मपाल दीक्षित माता:-श्रीमती शशी दीक्षित पत्नि:-अंकिता दीक्षित शिक्षा:-बीटेक (सिविल), एमबीए, बीए (हिन्दी, अर्थशास्त्र) पेशा:-प्राइवेट संस्था में कार्यरत स्थान:-भवन सं. 106, जे ब्लाक, गुजैनी कानपुर नगर-208022 (9760253965) [email protected] जीवन का उद्देश्य:-साहित्य एवं समाज हित में कार्य। शौक:-संगीत सुनना, पढ़ना, खाना बनाना, लेखन एवं घूमना लेखन की भाषा:-बुन्देलखण्डी, हिन्दी एवं अंगे्रजी लेखन की विधाएँ:-मुक्तछंद, गीत, गजल, दोहा, लघुकथा, कहानी, संस्मरण, उपन्यास। संपादन:-“सप्तसमिधा“ (साझा काव्य संकलन) छपी हुई रचनाएँ:-विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में कविताऐ, लेख, कहानियां, संस्मरण आदि प्रकाशित। प्रेस में प्रकाशनार्थ एक उपन्यास:-घाट-84, रिश्तों का पोस्टमार्टम, “काव्यसुगन्ध” काव्य संग्रह,