श्याम पूजारन
जाऊं ना जमुना तीर
माने ना मन अधीर
देख मोहे श्याम नित सताए रे।
कह दे आज श्याम से,
आए ना वो पीछे पीछे,
बैठ जमुना तीर ना बंसी बजाए रे।
सुन बंसी की धुन,
बस में रहे ना मन,
पास उसके खींची मैं चली जाऊं रे।
कैसा जादू उसकी,
धुन में बंसी की
मैं भी श्याम, श्याम गुनगुनाऊं रे।
लाख करूं मैं जतन,
श्याम को भूले ना मन,
मैं तो बावरिया बन घूमूं रे।
सुनकर बंसी मधुर,
पाऊं ना घर में ठहर,
जमुना तट खींची चली आऊं रे।
कैसी लगी लगन,
तुझसे हे मनमोहन,
मैं तो तेरी दीवानी भई रे।
सौंप तुझे अपना मन,
बुझ जाए सारा अगन,
मैं तो तेरी पूजारन, तुझमें समाई रे।
पूर्णतः मौलिक- ज्योत्सना पाॅल।