गीतिका/ग़ज़ल

देश के हालात नासाज हैं

मूल विनाश नेहरू ने किए आउल गांधी तो व्याज है।
इसीलिए मेरे देश की जनता कांग्रेसियों से नाराज़ हैं।

ये जो बेरोजगारी का आलम है मेरे देश में साहब,
इसके पीछे भी राजनेताओं के छिपे गहरे राज है।

सुनिए जिसमें परत दर परत छिलके मिलते हो,
आलू नहीं होता साहब उसी को कहते प्याज हैं।

आज़ादी से अब तक लगे विकास का नारा,
फिर भी जनता क्यों बन रही मुर्खाधिराज है।

गज़ब के वैज्ञानिक है साहब कर रहे अजुबे खोज,
आलू से सोना बना रहे लगता तबीयत नासाज हैं।

देख सत्तर वर्ष का विकास मेरे इस देश का,
निरोगियों की भी होती तबीयत नासाज है।

भ्रष्टाचार आतंकवाद रहित हो ये मेरा मुल्क,
अब तो जन जन का ये बना दिले आवाज है।

बचाने चले थे लोकतंत्र स्वयं खतरे में डाल दिए,
बांटो औ राज करों से यूपी बिहार वाले नाराज है।

— संजय सिंह राजपूत
बागी बलिया उत्तर प्रदेश

संजय सिंह राजपूत

ग्राम : दादर, थाना : सिकंदरपुर जिला : बलिया, उत्तर प्रदेश संपर्क: 8125313307, 8919231773 Email- sanjubagi5@gmail.com