लघुकथा

उमड़ा जन सैलाब।

असलम !

असलम को जैसे ही खबर मिली कि सरहद पर दुश्मनों से लोहा लेते हुए उनके गांव का उसका प्यारा बचपन का दोस्त शहीद हो गया है, उसका दिमाग चकरा गया दस दिन पहले ही जब वो छुट्टी पर आया था तो उसे भी  फौज में भर्ती होने में जो फार्म निकलने वाले थे उसकी तारीख बता गया था। वो और मैं तो साथ मे देश के लिए मर मिटने की कसमें खाते थे, अचानक भाईजान की आवाज़ आए असलम चल शहीद संजय का पार्थिव शरीर गांव में पहुंचने वाला है। असलम भागा भागा अपने आंसुओं को पोंछता आया यहां जन सैलाब उमड़ा था उस वीर सैनिक के आखरी दर्शन को, असलम भी  वहीं था सारा गांव वीर जवान अमर रहे …..के नारों से गूंज रहा था। पर वहीं कुछ लोग धर्म की राजनीति करते और आपस में बांटने वाली बातें करते सुनाई दे रहे थे। असलम भी  नारे लगा रहा था , वो भी  देश से सच्चा प्यार करता था पर कुछ लोगों की वजह से उसे अपनी भावनाएं चींख चींख कर समझानी पड़े ये उसे पसंद नहीं था, वो इस उमड़े जन सैलाब में मौजुद कुछ गिने हुए लोगों की बातों से बहुत आहत था। असलम चाहता था कि काश ! सब संजय की तरह होते ….जो देश से प्यार करते हैं और सभी देशवासियों से भी, देश में कुछ देशद्रोही भी  हैं उन्हें समझना होगा कि वो देश की एकता और अखंडता को चोट न पहुँचाये और देश की छवि खराब न करें।
कामनी गुप्ता ***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |