राम हमारे बेघर हैं
सदियों से जो आदर्श रहा, और धरती का अभिमान रहा
जो रघु वंश का कुल गौरव, आन बान और शान रहा
हिन्द में हिन्दू आलंबन का , वर्षों से हुआ अनादर है
नेता रहते महंगे बंगलों में , राम हमारे बेघर हैं
ऐसी कार्य की शैली से , जाने देना चाहते क्या सीख
नेताजी कहते जज जानें और जज साहब देते तारीख
क्यों बेसिर पैर की बातों को , यूं लगे हुए बतियाने में
दुनिया उलझी है ठाट बाट में , राम खड़े सामियाने में
ये देख देख है चकित धरा , और बेचैन ये अंबर है
नेता रहते. . . . . . . . . .
पुल्कित रही भारत भूमि , श्रीराम के पुण्य स्पर्श से
था बना विश्व गुरु भारत, रघु कुल के आदर्श से
सब राजनीति के प्रतिफल हैं , सब वोट बैंक का है लेखा
आज लखन को रोक रही, उनकी ही खींची रेखा
सीता माता की ममता का, यह अपमान सरासर है
नेता रहते. . . . . . . . .
जाने जज साहब द्वारा कब राम निहारे जाएंगे
वर्षों से सुनते आए कि मंदिर वहीं बनाएंगे
भक्ति भाव वंदन पूजन के आयाम कहां होंगे
अयोध्या में अगर नहीं तो फिर श्रीराम कहां होंगे
अब भक्ति भाव को आंख दिखाते मुल्ला गाजी और अकबर हैं
नेता रहते. . . . . . . .
विक्रम कुमार