राजनीति

मतदान की तीन शर्तें

मतदान का समय आ रहा है–पहली शर्त, जनसंख्या नियंत्रण, दूसरी पानी, तीसरी शिक्षा।

जोर देकर पूछा जाना चाहिए कि शिक्षा के लिए क्या किया जा रहा है, क्या योजना है, कितना बजट है, कितने स्कूल, कॉलेज व विश्वविद्यायल बनाये जायेंगे। और यह भी कि सत्ता के शीर्ष पर सिर्फ और सिर्फ उच्च शिक्षित व्यक्ति ही हो…हर मंत्री शिक्षित हो, क्योंकि एक शिक्षित व्यक्ति ही जवाबदेह होता है, संवेदनशील होता है, अच्छे निर्णय लेने में सक्षम होता है–उदाहरण सामने है, नोटबंदी जैसा निर्णय दुनिया का कोई भी शिक्षित व्यक्ति ले ही नहीं सकता, न ही कभी लिया गया…86 प्रतिशत चलती करेंसी को अचानक बंद करना साबित करता है कि निर्णय लेने वाला व्यक्ति बहुत परिपक्व नहीं है। और उसके दुष्परिणाम पूरा देश देख रहा है और पता नहीं कब तक देखेगा…अचानक देश कई साल पीछे चला गया…अतः उच्च पद पर शिक्षित, प्रतिभावान, जीनियस और देश के लिए अच्छी शिक्षा व्यवस्था।

एक शिक्षित व्यक्ति स्वयं भी सुखी रहता है और दूसरों को भी सुख बांटता है। शिक्षित सृजनशील होता है, विवेक से निर्णय लेता है, शिक्षित लोगों का समूह, समाज, देश अपने आपमें बहुत बड़ी शक्ति बन जाता है…किसी भी न्यूक्लियर बम से अधिक शक्तिशाली…अशिक्षित लोगों की भीड़ को से कोई भी मूढ़ता करवाई जा सकती है और हमने देखा है कि करवाई जा रही है…एक शिक्षित व्यक्ति के लिए हर चीज की प्राथमिकता होती है…गंवार भीड़ को किसी भी मूढ़तापूर्ण बात पर उकसाया जा सकता है, नेता लोग अपने फायदों के लिए पूरी भीड़ को, देश को दाव पर लगा देते हैं…हम देख रहे हैं…शिक्षित व्यक्ति जाति, धर्म, वर्ग किसी भी भेद से उठकर हर व्यक्ति के हीत की बात सोचता है…वह अच्छे उम्मीदवार को वोट देता है…किसी अपराधी को नहीं…जितना शिक्षित मतदाता उतना ही शिक्षित उम्मीदवार…शिक्षित उम्मीदवारों का समूह एक शिक्षित व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनायेगा…हर मंत्री शिक्षित होगा…

मतदाता देखे कि कौन-सी पार्टी शिक्षा के लिए क्या कर रही है…वर्तमान मोदी सरकार ने तुलनात्मक रूप से अब तक को शिक्षा पर सबसे कम बजट रखा…साफ पता चलता है कि नहीं चाहते कि लोग शिक्षित हों, जागरूक हों…यदि लोग सजग हो गये तो उन्हें बेसिर-पैर के मुद्दों पर किसी भी दिशा में हकालना संभव नहीं होगा…शिक्षा।

केजरीवाल उच्च-शिक्षित हैं…पांच साल में दिल्ली की आबोहवा बदल दी…शिक्षा पर ऐसा सकारात्मक काम किसी भी सरकार ने, कभी भी नहीं किया…जीवंत उदाहरण है…मोदी सरकार की तमाम रूकावटों के बावजूद शिक्षा-सुधार केजरीवाल की बड़ी से बड़ी सफलता है…।

शिक्षित उम्मीदवार, शिक्षित प्रधानमंत्री, शिक्षित मंत्री…आधुनिक दुनिया में शिक्षा का बोलबाला है…हम भी शिक्षित हों…तीसरी शर्त–शिक्षा। पहली-जनसंख्या नियंत्रण, दूसरी-पानी, तीसरी-शिक्षा। ठीक से देखें कि कौन-सा दल इस प्राथमिकता से काम करने की क्षमता रखता है!

संतोष भारती (बनवारी)

स्वतंत्र विचारक, लेखक एवं ब्लॉगर निवासी पुणे