आप अपने जीवन को कितने रंग देते हैं, यह सब आपकी प्रतिभा व श्रम पर निर्भर करता है। जितना व्यक्ति समझदार होता है, संवेदनशील होता है, सृजनात्मक होता है, जागरुक व सजग होता है उतना ही स्वयं के जीवन को अनेकानेक रंग व उड़ानें देता है। जीवन को जितना सिकोड़ों, छोटा करो, सीमित कटघरे में […]
Author: संतोष भारती (बनवारी)
मतदान की तीन शर्तें
मतदान का समय आ रहा है–पहली शर्त, जनसंख्या नियंत्रण, दूसरी पानी, तीसरी शिक्षा। जोर देकर पूछा जाना चाहिए कि शिक्षा के लिए क्या किया जा रहा है, क्या योजना है, कितना बजट है, कितने स्कूल, कॉलेज व विश्वविद्यायल बनाये जायेंगे। और यह भी कि सत्ता के शीर्ष पर सिर्फ और सिर्फ उच्च शिक्षित व्यक्ति ही […]
लेख : कंजूसी
ये कंजूस भी अजीब ही लोग होते हैं। इसे मानसिक रुग्णता ही कहा जाना चाहिए। आखिर क्यों कोई कंजूस होता है, कुछ भी देने में हिचकता क्यों है, कुछ भी छूटता क्यों नहीं हैं, जो आ जाये, जो मिल जाये उसे पकड़ने की इतनी जिद्द क्यों? औैर ऐसा नहीं है कि कंजूस कोई-कोई होता है, […]
ये कैसा शांति दूत?
डॉक्टर जाकिर नाईक फरमाते हैं कि वे शांति दूत हैं? कह देने से कोई शांति दूत हो जाता तो फिर क्या चाहिए? नहीं, कदापि नहीं, नाईक शांति दूत तो कतई नहीं है? शांति दूत के लिए बेहद जरूरी है–संवेदनशील होना, हर विपरीत विचार के प्रति खुला होना, दूसरों की मान्यताओं को सम्मान देना, किसी का […]
यंत्र का उपयोग समझदारी से हो
संचार जगत में होने वाली हर नई खोज हमेशा ही रोमांचित करती है। कुछ ही समय में मोबाइल हर किसी के हाथ में आ गया, पल भर में पूरी दुनिया में किसी से भी बात कर लो। गूगल पर दुनियाभर की जानकारी पलक झपकते सामने आ जाती है। फेसबुक, व्हाट्सअप, स्काईप…दिल की हर धड़कन को […]
यह समाज किधर जा रहा है?
आज फिर एक बहू की यातना सहते सास का विषय खूब चर्चा में है। जब कोई घटना अति पार करती है तो दिखाई देती है…अति के भीतर की यातना भी कम नहीं होती…दैहिक उत्पीडन था तो दिखाई दे गया, लेकिन मानसिक और भावनात्मक यातनाएं आसानी से नहीं दिखती…लेकिन घाव तो वे गंभीर करती हैं…! देश […]