मुहब्बत भी डिजिटल अब हो गयी है
मुहब्बत भी डिजिटल अब हो गयी है
गुलाबों की खुश्बू कहीं खो गयी है
पहले तो ख़त भी महका किये थे।
हाँथों ने चुम्बन लिखकर दिये थे।।
लगाया था सीने चूमा था उसको
पाकर खुशी से झूमा था उसको
ऊपर लिखा था कैसे हो सोना
मै भी हूँ अच्छी तुम ठीक होना
तेरी याद आकर जाती नहीं है
हमें नींद रातों को आती नही है
पाकर इसे तुम उत्तर भी लिखना
आऊँगी छतपर खिड़की में दिखना
खामोशियों से फिर बात होगी
जिन्दा रहे तो मुलाकात होगी
अब फेसबुक पर हैं प्यार होते
वाटसअप पे इमोजी हंसते है रोते
हैल्लो भी करते कभी हाय होता
गुडनाईट के संग कभी बाय होता
एहसास वो सारे दिखते नही है
बाजार में ख़त अब बिकते नहीं है
मुहब्बत भी डिजिटल अब हो गयी है
गुलाबों की खुश्बू कहीं खो गयी है