कविता

कविता

मेरे रब ने भी न मुझको आज़माया , वहाँ से ।
खत्म होती थी ,बर्दाश्त की मेरी हद जहाँ से ।।
तूने इतना सितम ढाया है , रुलाया मुझको ।
मौका देने को लायें हम,अब सब्र कहाँ से ।।
बेसबब होती नही है, खामोशी यारों ।
छीन लेता है आवाज़ ,दर्द हद से ज़्यादा ।।
होते एहसास रोती अखियों,बरसते बदलों के ।
बने आशियाँ माटियों से जिनके,हो दिल टूटे ज़्यादा ।।
कवयित्री अर्चना सिंह

अर्चना सिंह

जन्मतिथि 2.2.1995 पिता का नाम श्री अभय प्रताप सिंह माता का नाम हिमाद्रिजा सिंह पता - आवास विकास कालोनी, मीर भवन, प्रतापगढ़ योग्यता परास्नातक बीटीसी टीईटी एवं सीटीईटी उत्तीर्ण, आईटीआई (COPA) सम्मान- 1) संस्कृत ज्ञान गौरव पुरस्कार, मथुरा 2) जनपद हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रतापगढ़ 3) श्रीराम ग्रुप प्रतापगढ़ द्वारा सम्मानित 4) अमिता साहित्यिक संस्थान झाँसी द्वारा सम्मानित 5) विभिन्न स्थानीय संस्थानों द्वारा लगभग 7 सारस्वत सम्मान आकाशवाणी तथा वाह कवि जी वाह में काव्य पाठ दूरभाष- 7052541771 ईमेल - saurachana703@gmail.com