कहानी

कहानी- वंदे मातरम्

आज कल्याण और अनवर में “वंदे मातरम्” और “भारत माता की जय” इन शब्दों लेकर बहस छिड़ गई। अॉफिस में लंच का समय था। सभी लोग अपने-अपने मोबाइल पर भारत और पाकिस्तान का रोमांचक मैच देख रहे थे। भारतीय खिलाड़ियों का खेल बहुत अच्छा चल रहा था। रन पर रन बन रहे थे। चौका छक्का लगते ही सभी लोग खुशी से “वंदे मातरम्” और “भारत माता की जय” बोल रहे थे।
अनवर भारत के खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन से बहुत खुश था। तालियां बजाकर भारत की जीत का जश्न मना रहा था। पर “वंदे मातरम्” और “भारत माता की जय” नहीं बोल रहा था।
कल्याण और अनवर बहुत अच्छे मित्र थे। दोनों एक ही ऑफिस में काम करते थे। एक साथ अॉफिस आते तथा एक साथ घर जाते थे। कभी अनवर अपनी गाड़ी ले लेता था तो कभी कल्याण। दोनों एक साथ गाड़ी में गपशप करते हुए ऑफिस जाते थे। दोनों ही एक कंपनी में सीनियर पोस्ट पर थे। दोनों में बड़ा प्यार था।
दोनों के परिवारों में भी अच्छी मित्रता थी। दोनों के परिवार मिल-जुलकर सभी भारतीय त्यौहारों को मनाते थे। कल्याण ईद पर अपने परिवार के साथ सैवइयां खाने अनवर के घर जरूर जाता था और अनवर होली,दिवाली पर अपने परिवार के साथ कल्याण के घर जाकर गले मिलता था। तरह-तरह के पकवान खाता था। दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे थे। उनके बच्चों का भी आपस में बहुत प्रेम था। दोनों के बच्चे भी एक ही स्कूल में पढ़ते थे।
कल्याण ने जब देखा कि अनवर “वंदे मातरम्”और “भारत माता की जय”नहीं बोल रहा है। तो पूछ बैठा – यार क्या हुआ तुम वंदे मातरम् नहीं बोल रहे हो ?
अनवर ने कहा कि हमारे धर्म में वंदे मातरम् बोलना गुनाह है। कल्याण ने कहा- अनवर तुम्हें वंदे मातरम् का अर्थ पता है।
अनवर ने कहा नहीं।
तो तुम्हें कैसे पता चला कि इसको बोलना गुनाह है। आज इक्कीसवीं सदी में भी तुम जैसे पढ़े लिखे लोग लकीर के फकीर बने हुए हो।
अनवर ने कहा मुझे किसी ने बताया था कि वंदे का अर्थ वंदना या पूजा करना है और मातरम् का अर्थ माता या माँ है। यानी भारत माता की वंदना या पूजा करते हैं। हमारे धर्म में हम अल्लाह को छोड़कर किसी की पूजा वंदना नहीं कर सकते हैं। इसी तरह “माँ” हम सिर्फ अपनी माँ को ही कह सकते हैं और किसी को नहीं।
कल्याण ने कहा- तुम ठीक कह रहे हो। पर हर एक शब्द के पर्यायवाची शब्द भी तो होते हैं। अब मैं तुम्हें बताता हूँ कि “वंदे मातरम्” और “भारत माता की जय” का क्या अर्थ है। यहां वंदे का अर्थ सम्मान या आदर करना है, और मातरम् का अर्थ भारत या हिन्दुस्तान की धरती। यानी हम सब भारत का सम्मान करते हैं। इसकी मिट्टी का आदर सत्कार करते हैं। इसी तरह भारत माता से तात्पर्य भारत देश से है। भारत की धरती से है जो माँ के समान हमारी रक्षा करती है। जिसकी मिट्टी में खेल कूद कर हम बड़े होते हैं। जिसके वृक्षों के फल,खेतों के अनाज और नदियों के मीठे जल से हमारा पालन पोषण होता है। हमारे देश का हिमालय पर्वत प्रहरी बनकर दुश्मनों से हमारी रक्षा करता है।                              अब तुम ही बताओ ? क्या तुम अपने देश का सम्मान नहीं करते हो ? क्या तुम इस मिट्टी का आदर नहीं करते हो? क्या तुम अपने को भारतीय नहीं मानते हो?
कल्याण के शब्दों को सुनकर अनवर ने पूरे जोश के साथ कहा मैं दिलो जान से भारत देश का, उसकी मिट्टी का सम्मान करता हूं, क्योंकि मैं इसकी मिट्टी में ही खेलकूद कर बड़ा हुआ हूँ। मैं भारतीय हूं। इस देश की मिट्टी ने ही मेरा पालन पोषण किया है।
अब अनवर एक बार जोर से चिल्लाया “वंदे मातरम्” “भारत माता की जय” यह कह कर वह कल्याण के गले लग गया।
ग्लानि प्रकट करते हुए बोला- कल्याण मेरे भाई, आज तुमने मेरी आँखें खोल दी। अब मैं सबको इसका वास्तविक अर्थ बताकर उनकी आँखें खोलने की कोशिश करूंगा। वह बोला – आज भी समाज में मेरे जैसे न जाने कितने पढ़े लिखे लोग,बिना सोचे समझे,एक दूसरे के पीछे चल कर लड़ाई झगड़ों में उलझ कर, अपने मुल्क का नुकसान करते हैं। यह कहते ही अनवर की आँखें छलक आईं।
कल्याण बहुत खुश था। दोनों मित्रों ने चाय का लुत्फ़ उठाते हुए मैच देखा और भारत की जीत पर “भारत माता की जय”और “वंदे मातरम्” के नारे लगाये। उनके साथ-साथ ऑफिस के सभी लोग “वंदे मातरम्” और “भारत माता की जय” बोलने लगे।
— निशा नंदिनी भारतीय 
तिनसुकिया, असम

*डॉ. निशा नंदिनी भारतीय

13 सितंबर 1962 को रामपुर उत्तर प्रदेश जन्मी,डॉ.निशा गुप्ता (साहित्यिक नाम डॉ.निशा नंदिनी भारतीय)वरिष्ठ साहित्यकार हैं। माता-पिता स्वर्गीय बैजनाथ गुप्ता व राधा देवी गुप्ता। पति श्री लक्ष्मी प्रसाद गुप्ता। बेटा रोचक गुप्ता और जुड़वा बेटियां रुमिता गुप्ता, रुहिता गुप्ता हैं। आपने हिन्दी,सामाजशास्त्र,दर्शन शास्त्र तीन विषयों में स्नाकोत्तर तथा बी.एड के उपरांत संत कबीर पर शोधकार्य किया। आप 38 वर्षों से तिनसुकिया असम में समाज सेवा में कार्यरत हैं। असमिया भाषा के उत्तरोत्तर विकास के साथ-साथ आपने हिन्दी को भी प्रतिष्ठित किया। असमिया संस्कृति और असमिया भाषा से आपका गहरा लगाव है, वैसे तो आप लगभग पांच दर्जन पुस्तकों की प्रणेता हैं...लेकिन असम की संस्कृति पर लिखी दो पुस्तकें उन्हें बहुत प्रिय है। "भारत का गौरव असम" और "असम की गौरवमयी संस्कृति" 15 वर्ष की आयु से लेखन कार्य में लगी हैं। काव्य संग्रह,निबंध संग्रह,कहानी संग्रह, जीवनी संग्रह,बाल साहित्य,यात्रा वृत्तांत,उपन्यास आदि सभी विधाओं में पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। मुक्त-हृदय (बाल काव्य संग्रह) नया आकाश (लघुकथा संग्रह) दो पुस्तकों का संपादन भी किया है। लेखन के साथ-साथ नाटक मंचन, आलेखन कला, चित्रकला तथा हस्तशिल्प आदि में भी आपकी रुचि है। 30 वर्षों तक विभिन्न विद्यालयों व कॉलेज में अध्यापन कार्य किया है। वर्तमान में सलाहकार व काउंसलर है। देश-विदेश की लगभग छह दर्जन से अधिक प्रसिद्ध पत्र- पत्रिकाओं में लेख,कहानियाँ, कविताएं व निबंध आदि प्रकाशित हो चुके हैं। रामपुर उत्तर प्रदेश, डिब्रूगढ़ असम व दिल्ली आकाशवाणी से परिचर्चा कविता पाठ व वार्तालाप नाटक आदि का प्रसारण हो चुका है। दिल्ली दूरदर्शन से साहित्यिक साक्षात्कार।आप 13 देशों की साहित्यिक यात्रा कर चुकी हैं। संत गाडगे बाबा अमरावती विश्व विद्यालय के(प्रथम वर्ष) में अनिवार्य हिन्दी के लिए स्वीकृत पाठ्य पुस्तक "गुंजन" में "प्रयत्न" नामक कविता संकलित की गई है। "शिशु गीत" पुस्तक का तिनसुकिया, असम के विभिन्न विद्यालयों में पठन-पाठन हो रहा है। बाल उपन्यास-"जादूगरनी हलकारा" का असमिया में अनुवाद हो चुका है। "स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्व विद्यालय नांदेड़" में (बी.कॉम, बी.ए,बी.एस.सी (द्वितीय वर्ष) स्वीकृत पुस्तक "गद्य तरंग" में "वीरांगना कनकलता बरुआ" का जीवनी कृत लेख संकलित किया गया है। अपने 2020 में सबसे अधिक 860 सामाजिक कविताएं लिखने का इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। जिसके लिए प्रकृति फाउंडेशन द्वारा सम्मानित किया गया। 2021 में पॉलीथिन से गमले बनाकर पौधे लगाने का इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। 2022 सबसे लम्बी कविता "देखो सूरज खड़ा हुआ" इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। वर्तमान में आप "इंद्रप्रस्थ लिटरेचर फेस्टिवल न्यास" की मार्ग दर्शक, "शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास" की कार्यकर्ता, विवेकानंद केंद्र कन्या कुमारी की कार्यकर्ता, अहिंसा यात्रा की सूत्रधार, हार्ट केयर सोसायटी की सदस्य, नमो मंत्र फाउंडेशन की असम प्रदेश की कनवेनर, रामायण रिसर्च काउंसिल की राष्ट्रीय संयोजक हैं। आपको "मानव संसाधन मंत्रालय" की ओर से "माननीय शिक्षा मंत्री स्मृति इरानी जी" द्वारा शिक्षण के क्षेत्र में प्रोत्साहन प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जा चुका है। विक्रमशिला विश्व विद्यालय द्वारा "विद्या वाचस्पति" की उपाधि से सम्मानित किया गया। वैश्विक साहित्यिक व सांस्कृतिक महोत्सव इंडोनेशिया व मलेशिया में छत्तीसगढ़ द्वारा- साहित्य वैभव सम्मान, थाईलैंड के क्राबी महोत्सव में साहित्य वैभव सम्मान, हिन्दी साहित्य सम्मेलन असम द्वारा रजत जयंती के अवसर पर साहित्यकार सम्मान,भारत सरकार आकाशवाणी सर्वभाषा कवि सम्मेलन में मध्य प्रदेश द्वारा साहित्यकार सम्मान प्राप्त हुआ तथा वल्ड बुक रिकार्ड में दर्ज किया गया। बाल्यकाल से ही आपकी साहित्य में विशेष रुचि रही है...उसी के परिणाम स्वरूप आज देश विदेश के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उन्हें पढ़ा जा सकता है...इसके साथ ही देश विदेश के लगभग पांच दर्जन सम्मानों से सम्मानित हैं। आपके जीवन का उद्देश्य सकारात्मक सोच द्वारा सच्चे हृदय से अपने देश की सेवा करना और कफन के रूप में तिरंगा प्राप्त करना है। वर्तमान पता/ स्थाई पता-------- निशा नंदिनी भारतीय आर.के.विला बाँसबाड़ी, हिजीगुड़ी, गली- ज्ञानपीठ स्कूल तिनसुकिया, असम 786192 nishaguptavkv@gmail.com