पुस्तक समीक्षा

समीक्षा – अहसास के पल

कृति—-अहसास के पल
कृतिकार——सरिता गुप्ता
प्रथम संस्करण-2018
मूल्य—– ₹ 400
प्रकाशक- साहित्य भूमि, नई दिल्ली
समीक्षक-प्रोफेसर शरद नारायण खरे, विभागाध्यक्ष इतिहास, शासकीय जे.एम. सी महिला महाविद्यालय मंडला( मध्य प्रदेश) फोन नंबर 9425 484 382

‘अहसास के पल’ कृति में श्रेष्ठतम 17 कहानियों का एक सार्थक समन्वय दृष्टिगोचर होता है। यह कहानियां जीवन के आसपास परिभ्रमण करती है। इनमें आदर्श भी विद्यमान हैं और व्यवहार भी। चिंतन भी समाहित है और चेतना भी। इनमें समसामयिकता भी है और सार्थकता भी। नारी मन के भावों को सशक्तता के साथ पढ़ने की कोशिश करती हुई, कृतिकार संवेदना को प्रतिध्वनित करती हुई दृष्टिगोचर होती है।
कहानियों में जहाँ एक और नारी शोषण, उत्पीड़न, पीड़ा में दर्द के प्रति आक्रोश है तो वहीं दूसरी ओर सांस्कृतिक विरासत के प्रति आस्था का विश्वास भी विद्यमान है। विसंगतियों ,विद्रूपता ,विकृतियों व नकारात्मकताओं पर प्रहार करती हुई कहानियां समाज का पथ प्रशस्त करती हैं। वैसे तो प्राय: सभी कहानियां विशिष्ट हैं, पर अहसास के पल ,कुदरत, अजनबी, दिल का दर्द, फर्ज़ या कर्ज़, नई रोशनी परिणीता, अनकही, मन का बोझ ये सब बहुत ही उत्कृष्ट श्रेणी की कहानियां बन पड़ी है।कहानियों में एक विशेष मौलिकता विद्यमान है। कहानियां पाठक को बहुत कुछ सोचने को विवश करती हैं। कहानियों में महिलाओं के संघर्ष को तो दर्शाया ही गया है ,साथ ही उपभोक्तावाद, बाजारीकरण, मानवीय मूल्यों का क्षरण, परिवार के विघटन आदि की भी गहनता से पड़ताल करने की चेष्टा की गई है। परिवार में बुजुर्गों की महत्ता ,अनुभव शीलता की सत्ता का पक्ष लेती हुई कथा की समसामयिकता निसंदेह वंदनीय ही मानी जाएगी। भारतीय सामाजिक मूल्यों के प्रतिनिधित्व करती कहानियां पाठक को सुखद अहसास देती है। वैसे भी भारतीय समाज में परिवार समाज की धुरी व केंद्र होता है। जिसके मूल में पति-पत्नी निहित होते हैं ,इसीलिए पारिवारिक आदर्शों का संदेश मुखरित करती कहानियां पति-पत्नी, प्रेमी प्रेमिका का ही परिभ्रमण करती दृष्टि गोचर होती हैं।कहानियों का कथ्य प्रभावित करता है तो उनका प्रस्तुतीकरण, प्रवाह, संप्रेषणीयत्ता व संदेश भी कहानियों के प्रभाव को द्विगुणित कर देता है।
हर कहानी को जिस प्रकार ताने-बाने से बुना गया है वह विशिष्ट है। ‘अनोखा रिश्ता’ दुनिया में अच्छे लोगों की अच्छाई को मुखरित करने वाली कहानी है तो ‘अजनबी’ कहानी महिला सशक्तिकरण को प्रस्तुत करती है, जिसमें महिलाओं के आत्मबल को बहुत ही सलीके से प्रस्तुत किया गया है। यह सुखद है, कि कहानीकार ने पात्रों को स्वाभिमान और आत्मबल के साथ प्रस्तुत किया है।’ दिल का दर्द’ कहानी लघु होते हुए भी पाठकों को प्रभावित करती है। कहानियों में जिस प्रकार से जिज्ञासा का प्रतिनिधित्व किया गया है वह प्रशंसनीय है ।हर कहानी पठनीय और संदेश पूर्ण है। ‘बीस साल बाद’ दांपत्य जीवन के सुखद बनाने हेतु सारगर्भित मार्गदर्शन देती कहानी है।’फ़र्ज या कर्ज में’ लेखिका ने दहेज प्रथा पर सशक्त आघात किया है।’ नई रोशनी’ में महिला की दृढ़ता निर्भीकता व साहस को मूल्यांकन करने की एक अभिनंदन प्रस्तुति लेखिका के द्वारा की गई है।’अनकही’ कहानी बहुत कुछ कहती है। कहानी का ताना-बाना अति गंभीरता के साथ बुना गया है ।कथ्य और शिल्प दोनों में रोचकता है। विषय वस्तु में जहां सार्थकता है तो वहीं प्रस्तुति में उत्कृष्टता है। अन्य कहानियां भी रोचक, प्रभावशाली ,सारगर्भित एवं संदेश पूर्ण हैं। कहानियों में गतिशीलता के कारण पाठक अंत तक बंधा रहता है। जिज्ञासा व समसामयिकता से पूर्ण कहानियां जीवंतता का संचार करती हैं। निष्कर्षत: सरिता गुप्ता जी ने एक बेहतरीन उपहार इन कहानियों के रूप में साहित्य जगत को प्रदान किया है। इन कहानियों में कहानीकार ने अपने अहसासों को अपेक्षाओं के साथ जिस प्रकार से सटीक कथानकों  के साथ प्रस्तुत किया है, वह इस बात को प्रमाणित करता है, कि कहानीकार के पास शब्दों का, भावों का असीम भंडार है। कहन में वे निपुण हैं।मुझे यह कहते हुए बहुत अच्छा लग रहा है ,कि सरिता गुप्ता के संग्रह की अधिकांश कहानियां, पहले भी  पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। जिन्हें अक्सर मैं पढ़ता रहता हूं।
मेरी यही शुभकामना है कि साहित्य जगत में ‘अहसास के पल’ कहानी संग्रह को खूब मान मिले ,सम्मान मिले और सरिता गुप्ता जी  यूं ही साहित्य जगत में नए-नए आयाम से अपनी पहचान बनाए रखें।

— प्रो. शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]