कविता

लिख देता हूँ

तुम से है मुहब्बत
इसलिये तो लिख देता हूँ

दिल में दबा कर कितना रखूं
अपने जज्बात लिख देता हूँ

इलज़ाम तुम ही लगाते हो
इसीलिए अपने इरादे लिख देता हूँ

बरसो छुपाया है अपनी मुहब्बत को
इसीलिए हर बार अपने अरमान लिख देता हूँ

बेबस दिल में जो आता है
अपने मुहब्बत का गुनाह लिख देता हूँ

अपनी मुहब्बत को कहा ढूँढू
इसीलिए हर बार तुम्हारे दिल का पता लिख देता हूँ

एक बार पास आकर तो देखो
अपनी जिंदगी तुम्हारे नाम लिख देता हूँ

रवि प्रभात

पुणे में एक आईटी कम्पनी में तकनीकी प्रमुख. Visit my site