छोटी सी भूल
जीवन की इक छोटी सी भूल,
चुभे जब मन में बनकर शूल।
काटों की शक्ल इख्तियार करता,
तब राहों में बिछा हर इक फूल।
दिल कहा दिल का करता नहीं,
नाजुक है पर नादानी करता नहीं।
मेरी समझ पर ताने देने वाला,
हर रिश्ता मुझे समझता ही नहीं।
मुझे नादान कहने वाला शख्स,
समझदारी की बातें करता नहीं।
क्या मैं अकेले खता वार हूँ यहाँ,
उससे होती नहीं क्या कभी भूल ।
तन बोझ बेवफाई का उठाये कैसे,
जब मन हुआ चुप मौन लंगड़ा लूल।
— आरती त्रिपाठी