गीत सुगत सवैया : यादें अक्सर आ जाती थीं
इंतजार के उस मौसम में ,तेरी यादें महकाती थी ।
अक्सर जो दिल बोझिल होता ,आ चुपके सहला जाती थी ।
कोमल ,निर्मल ,चंचल जिनको,पाला मैंने इक जीवन सा ।
देख देख दिल के दर्पण में,प्रेम लुटाया था यौवन सा ।
अंतस के सूने आँगन में ,यादें ही तो मुस्काती थीं ।
जब अक्सर दिल बोझिल होता ,आ चुपके सहला जाती थी ।
तुझसे मिलकर तुझको जानां ,लब पर तेरी ही बातें थीं ।
रहा रँगीला दिनकर मेरा ,और रसीली सी रातें थीं ।
मदिर मृदुल मुस्कान सलौनी, नयनन ही छलका जाती थीं ।
अक्सर जो दिल बोझिल होता ,आ चुपके सहला जाती थी ।
फिर आया बिछड़न का मौसम ,अपने थे पर गैर हुए तुम ।
छोड़ अकेले सघन वनों में ,प्रेम तलाशा बैर हुए तुम ।
तुमने तड़पाया जी भर कर ,पर यादें बहला जाती थी ।
अक्सर जो दिल बोझिल होता ,आ चुपके सहला जाती थी ।
— रीना गोयल