तुम बिन
# तुम बिन
बिन फूल-पात की डाली सी
मैं तुम बिन खाली खाली सी
जिसके आगे है घना अंधेरा
मैं ढ़लती सांझ की लाली सी
यादों में खोजूँ खुशबू रंगत
एक बिखरे बाग के माली सी
दिल्ली भी जिससे हलाकान
उस जलती हुई पराली सी
ना कहा जाए ना सहा जाए
किसी राजा की कंगाली सी
ग्रहण-काल मे पड़ी विलग
अनमन पूजा की थाली सी
मैं तुम बिन खाली खाली सी
बिन फूल-पात की डाली सी
समर नाथ मिश्र