कविता

नवल बसंत

संसद के गलियारे में गूँजा भारत का गान।
पाने वाला है भारत फिर से खोया सम्मान।।
बँटवारे का दाग मिटाने को हम हैं तैयार।
देर सही पर अब ना छोड़ेंगे अपना अधिकार।।

एक धर्म का एक पंथ का नहीं चलेगा राज।
शांति-दूत अब बना कबूतर केसरिया-सा बाज।।
सात दशक के उहा – पोह का हो जाएगा अंत।
पतझर पीड़ित पादप पर आएगा नलव बसंत।।

वीर भरत के भारत का कैसे कोई हो बाप!
आजादी-बँटवारे का संगम भीषण अभिशाप।।
संशोधन का समय आ गया कर लें भूल सुधार।
भारत माँ की अम्बर में गूँजे जयजय जयकार।।

— डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 Awadhesh.gvil@gmail.com शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन