“फलसफा जिन्दगी का “
फलसफा जिन्दगी से यही हमने सीखा
नहीं कोई होता फलसफा जिन्दगी का
भूख लगे तब खाना नींद लगे तब सोना
मन मगन तब हंसना दर्द मिले पर रोना
न दिल को जलाना न ही मन को सताना
न सोच सोच बेकार अपना भेजा जलाना
जहां पर जैसा मिले वहां वैसा ही चुनना
मिट्टी की इस देह को मिट्टी में है मिलना
कर्म भाग्य पाप पुण्य कहकहा जिन्दगी का
यही जाना हमने फलसफा जिन्दगी का