ग़ज़ल
कभी दर्द लिखा कभी प्यार लिखा।
खता भूलकर खत कई बार लिखा।
न आया सनम तू न खत आये तेरे।
तेरी ये खता आज ही यार लिखा।।
मेरी आँखों से छलकतें हैं जो मोती।
वो आँसू नही उनको तो हार लिखा।।
मुझे याद आयी तेरी चलते चलते।
तो कातिल तुझे मैने सरकार लिखा।।
सजा क्या तुझे दूं बता मेरे कातिल।
मुकद्दर में क्यूं तू मेरे यार लिखा।।
मेरे बाद शिकवा करेगा तू किससे।
तुझे यार मैने कई बार लिखा।।
गजल जान कर पढ़ के खत जान कर तू।
तेरी बज्म में बैठकर यार लिखा।।
— प्रीती श्रीवास्तव