कविता

मुस्काता हूँ……

कैसे-कैसे खुशी मिलती है लोगों को
जिसको मैं नहीं समझ पाता हूँ
देख लोगों के वनावटीपन को
मैं सोच में जरूर पड़ जाता हूँ
कि पल दो पल की हंसी है
और जीवन में गम ही गम है
कैसे समझाऊं खुद को ग़ालिब
चंद उजाला बाकी सब तम है
टूट चुका हूं अन्दर से मैं
फिर भी दिल में विश्वास जगाता हूँ
तोड़कर सारे गम के बंधन को
चेहरे पर हंसी लिये मुस्काता हूँ
— रमाकान्त पटेल

रमाकान्त पटेल

ग्राम-सुजवाँ, पोस्ट-ढुरबई तहसील- टहरौली जिला- झाँसी उ.प्र. पिन-284206 मो-09889534228