गीतिका/ग़ज़ल

गजल

क्या गुजरती है मेरे साथ बताऊँ कैसे
हर किसी को मैं नजर आऊँ तो आऊँ कैसे

एक पल के लिए भी चैन कहाँ है मुझको
दिल से किसी से मैं लगाऊँ तो लगाऊँ कैसे

पेश करने के लिए कुछ भी नहीं अश्कों के सिवा
घर किसी को मैं बुलाऊँ तो बुलाऊँ कैसे

नींद को भाता नहीं पलकों का भारी बिस्तर
ख्वाब आँखों में सजाऊँ तो सजाऊँ कैसे

‘शान्त’ है कंठ रुँधा काँप रही है ये जुबाँ
मैं फड़कती सी गजल गाऊँ तो गाऊँ कैसे

— देवकी नन्दन ‘शान्त’

देवकी नंदन 'शान्त'

अवकाश प्राप्त मुख्य अभियंता, बिजली बोर्ड, उत्तर प्रदेश. प्रकाशित कृतियाँ - तलाश (ग़ज़ल संग्रह), तलाश जारी है (ग़ज़ल संग्रह). निवासी- लखनऊ