सामाजिक

संघ व सेवा कार्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) दुनिया का ऐसा संगठन है जो सेवा में सदैव अग्रणी रहा है। भारत पर जब जब भी विपदा आई तब आरएसएस के स्वयंसेवकों ने अपने प्राणों तक की आहुति देकर उस संकट का सामना किया है।
कश्मीर पर पाकिस्तानी सेना के हमले के समय संघ के स्वयंसेवकों ने अक्टूबर 1947 से ही कश्मीर सीमा पर पाकिस्तानी सेना की गतिविधियों पर बगैर किसी प्रशिक्षण के लगातार नज़र रखनी शुरू कर दी थी। क्योंकि यह काम नेहरू-माउंटबेटन सरकार के विचारों में था ही नही उनके अनुसार मुसलमानों को पाकिस्तान देने के बाद अब विवाद की कोई वजह ही नही बची थी। उसी समय, जब पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर की सीमा लांघने की कोशिश की, तो सैनिकों के साथ कई स्वयंसेवकों ने भी अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए लड़ाई में प्राणों का बलिदान किया। भारत विभाजन के दंगे भड़कने पर, जब नेहरू सरकार पूरी तरह हैरान-परेशान थी, संघ ने पाकिस्तान से जान बचाकर आए शरणार्थियों के लिए 3000 से अधिक राहत शिविर लगाए व जनसहयोग से उनकी आपूर्ति की। यही नही कश्मीर विलय के समय भी जब भारत सरकार कुछ निर्णय नही ले पा रही थी, वल्लभ भाई पटेल ने श्री गुरु गोलवलकर जी को कश्मीर भेजा, राजा हरिसिंह से चर्चा के बाद कश्मीर का भारत मे विलय हुआ। इतना ही नही 1962 में सेना की मदद के लिए देश भर से संघ के स्वयंसेवक जिस उत्साह से सीमा पर पहुंचे, उसे पूरे देश ने देखा और सराहा। स्वयंसेवकों ने सरकारी कार्यों में और विशेष रूप से जवानों की मदद में पूरी ताकत लगा दी – सैनिक आवाजाही मार्गों की चौकसी, प्रशासन की मदद, रसद और आपूर्ति में मदद, और यहां तक कि शहीदों के परिवारों की भी चिंता संघ के स्वयंसेवक कर रहे थे। यह पहला अवसर था जब संघ कार्य को जनता ने देखा और गर्व किया। इसके फलस्वरूप प्रधानमंत्री नेहरू को संघ को राष्ट्रीय परेड में आमंत्रण देना पड़ा। 2 दिन पहले मिली त्वरित सूचना के बाद भी 3000 गणवेशधारी स्वयंसेवक लाल किला मैदान परेड में सम्मिलित हुए। 1965 के युद्ध मे एकबार फिर से लाल बहादुर शास्त्री जी ने संघ का आह्वान किया। युद्धकाल में दिल्ली की कानूनी व यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने में संघ के स्वयंसेवक सड़को पर डटे रहे, कई थानों में स्वयंसेवक सेवा दे रहे थी ताकि पुलिस के जवानों को सेना की सहायता में लगाया जा सके। कश्मीर की हवाई पट्टी से बर्फ हटाने का काम भी संघ के स्वयंसेवक ने ही संभाला हुआ था।
भारत मे बढ़ते धर्मान्तरण की एक वजह सेवा रूपी ईसाई मशीनरी षड्यंत्र भी था, चूंकि हिन्दू समाज आश्रित वर्ग की सेवा का भाव विस्मृत कर चुका था, उन्हें यह अवसर मिला। संघ ने अपने एकल अभियान के माध्यम से गिरी कंदराओं में रहने वाले सभी ग्रामीणों के शिक्षण का कार्य संभाला, आज देश में 1 लाख से अधिक एकल विद्यालय कार्यरत है, जो अपने आप में बहुत बड़ा आंकड़ा है। वनवासी आदिवासी समाज में फैलते भ्रम को कम करने तथा उन्हें आस्था, अध्यात्म व सनातन हिन्दू धर्म से जोड़े रखने के लिए विश्व हिंदू परिषद द्वारा अभियान चलाए गए, ग्राम ग्राम तक गिरिवासी, वनवासी, आदिवासी समाज को धर्म का सही संदेश व दिशा बताई गई। आज कई धर्मांतरित आदिवासी परिवार सेवा व संपर्क के बल पर ही पुनः घर वापसी कर रहे है। संघ की दृष्टि में सेवा कोई पुण्य प्राप्त करने का कार्य नही, यह नित्य कर्म है जो मनुष्य को करना ही चाहिए। समाज की सेवा करके वह बड़ा या दाता हुआ ऐसा विचार नही आना चाहिए। यह संघ के संस्कार है।
आज कोरोना जैसी भीषण महामारी के समय भी संघ व स्वयंसेवक प्राण पण से देश व देशवासियों की सेवा में तत्पर है। संघ प्रमुख ने स्वयंसेवकों को अपने सन्देश में अधिक से अधिक प्रशासन व जन सहयोग में संघ की भूमिका हो, यह निर्देशित किया था। दिल्ली स्थित संघ कार्यालय झंडेवालान से 10 हजार लोगों का भोजन प्रतिदिन बनाकर भेजा जा रहा है, इतना ही नही कानपुर, मेरठ, नोएडा, भोपाल, इंदौर, उज्जैन, सहित देश के सभी बड़े छोटे शहरों ग्राम नगरों में संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, विद्या भारती, किसान संघ, अन्य सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर लाखों लोगों तक भोजन पेकेट पहुँचाने का काम कर रहे है, मंदिरों, मठों, गुरद्वारों को सेनेटाइज करने का काम भी स्वयंसेवको ने अपने हाथ मे लिया। संघ ने इस आपदा से लड़ने के लिए जहां अपनी सभी बैठकें रद्द की, सभी स्वयंसेवक को स्थानीय स्तर पर सेवा व सहयोग करने के निर्देश दिये। 10 हजार स्थानों पर एक लाख स्वयंसेवक सेवा कार्य कर रहे। इस आपदा के समय कोई भी देश का कोई भी नागरिक भूखा न सोए, किसी भी नागरिक को परेशानी का सामना न करना पड़े, इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु सरकार, सेना व समाज के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक भी प्रयासरत हैं. गत एक सप्ताह के दौरान देशभर में 10 हजार स्थानों पर एक लाख से अधिक स्वयंसेवक विभिन्न सेवा कार्यों को संचालित कर रहे हैं। जम्मू की रहने वाली 87 वर्षीय खालिदा बेगम ने देश में चल रहे विकट दौर में हज के स्थान पर सेवा को प्राथमिकता दी। उन्होंने 5 लाख रुपए की राशि संघ के सेवा भारती के सेवा कार्यों से प्रभावित होकर जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करने के लिए दी। खालिदा बेगम जम्मू कश्मीर के एलजी के सलाहकार फारुख खान की माता जी हैं। वहीं विश्व हिंदू परिषद ने भी राम नवमी कार्यक्रम को घर में रहकर मनाने, सभी सक्षम समितियों द्वारा जनता को भोजन, रसद, आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराने के निर्देश दिए है। अयोध्या में अस्थाई मन्दिर में प्रभु राम के विस्थापन को भी छोटे रूप में किया गया। संघ के स्वयंसेवक इस आपदा में देवदूत बनकर आये, स्थानीय लोगों के सहयोग व सेवा में लगे है। चूंकि संघ के स्वयंसेवक हर परिस्थिति में कार्य करने, भीड़ को नियंत्रित करने, आपदा के समय आवश्यक प्रबंध करने, भोजन वितरण करने, सेवा सुरक्षा करने में प्रशिक्षित होते है, तो देश पर आई इस आपदा में शासन प्रशासन को अधिक परेशानी का सामना नही करना पड़ा। स्थानीय स्त्रोतों के सहयोग से भोजन निर्माण व भोजन वितरण को अपने हाथ मे लिया। साथ ही ग्रामीण स्तर पर जहां पुलिस जवान नही पहुँच सकते वहां लोगों को घरों में रखने का काम भी किया। मास्क के बढ़ते प्रयोग व बाजार में घटती उपलब्धता को ध्यान में रखकर स्वयंसेवको ने स्थानीय दर्जियों के सहयोग से हस्तनिर्मित मास्क तैयार कर जनता व प्रशासन को निःशुल्क उपलब्ध करवाए। साथ ही कई नगरीय केंद्रों जैसे ग्वालियर पर प्राकृतिक सेनेटाइजर बनाकर निःशुल्क वितरण किया गया।
देश पर आए इस संकट के समय जब कई बड़ी फ़िल्म हस्ति अभिनेता आगे आकर दान कर रहे है, कई मंदिरों ने करोड़ो का दान किया, कई उद्योगपति करोड़ो प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा कर चुके है, जबकि अवार्ड वापसी गैंग, साहित्यकार गैंग, टुकड़े टुकड़े गैंग, आरोप लगाने वाले फिल्मकार, अभिनेता अभिनेत्री सभी गायब है। देशहित में हर कार्य के लिए संघ अग्रेसर की भूमिका में रहता है, साथ ही समाज को भी सही दिशा देकर राष्ट्र के उत्थान को सशक्त करने के लिए कार्य करता है। संघ की स्थापना हिन्दू आस्थाओं की रक्षा के लिए अवश्य हुई। किंतु सेवा के क्षेत्र में संघ ने कभी पक्षपात नही किया। बाढ़, भूकंप, प्राकृतिक आपदा के समय कई मुस्लिम व ईसाई बस्तियों में लोगों की जान बचाने, रसद पहुचाने का काम स्वयंसेवक करते ही रहे है।
— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश