लघुकथा

परिष्करण…

“अरे तुम कौन हो” आहट सुन ब्रह्मांड ने उत्सुकता से पूछा ।
“मैं परिष्कृति की पदचाप हूँ।”
“तो क्या करना चाहती हो एक नज़र में तो तुम विनाशलीला सी नज़र आती हो।”  ब्रह्मांड ने डपटा।
“पर आप कैसे विस्मृत कर रहें हैं कि शुद्धिकरण के लिए बहुत सी चीजों को हटाना पड़ता है।” वह बोली।
ब्रह्मांड बीच मे ही बोल पड़े- तो क्या अच्छी चीजों को भी नष्ट कर दोगी? इंसान ब्रह्मांड की नायाब निर्मिति में से एक है फिर उसे क्यों नष्ट करने पर तुली हो…”
“आप ठीक कहते हैं मनुष्य आपकी गज़ब कृति है पर उसकी हठधर्मिता और प्रकृति का स्वामी बनने की चाहत ने उसे अंधा बना दिया है। अब शुद्धिकरण में थोड़ी बहुत अच्छी चीज़ें भी निकल ही जाती है।”
ब्रह्मांड ने कहा-“वो तो है, पर सबक सिखाते सिखाते क्रूरता पर मत उतर जाना।”
– डॉ. अनिता जैन “विपुला”

डॉ. अनिता जैन

1. नाम: डॉ. अनिता जैन 2. धारक नाम / उपनाम (लेखन हेतु): "विपुला" 3. जन्मदिन एवं जन्म 11 जुलाई स्थान: बीकानेर राजस्थान 4. शैक्षणिक योग्यता (ऐच्छिक): Ph. D. , M. Phil. NET. M.A. (संस्कृत - साहित्य , दर्शन ) M.A. ( हिंदी साहित्य ) MBA in HR 5. व्यवसाय: अतिथि प्राध्यापक ( विश्वविद्यालय में ) 6. प्रमुख लेखन विधा: छंद मुक्त, मुक्तक, हायकू ,वर्णपिरामिड, क्षणिका, लघुकथा,निबन्ध, आलेख आदि। 7. साहित्यिक उपलब्धियाँ/पुरस्कार/सम्मान: विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में कविताएँ एवं लेख प्रकाशित होते रहते हैं। आकाशवाणी में एंकरिंग एवं कविता पाठ आदि । ngo से जुड़ी हुई हूँ। समय समय पर सामाजिक उत्थान के कार्यों में सहभागिता। हिंदी के साथ साथ राजस्थानी भाषा में भी लेखन। "वर्णपिरामिड श्री", "सर्वश्रेष्ठ मुक्तककार", सम्मान आदि । 8. रुचि/शौक़: संगीत, अध्ययन,लेखन,प्राकृतिक स्थलों का भ्रमण,कुकिंग आदि । 9. वर्तमान पता एवं सम्पर्क सूत्र (ऐच्छिक): सेक्टर - 4, उदयपुर राजस्थान । Email- dranitajain@gmail.com 10. उपलब्धियों में- 12 वीं बोर्ड की योग्यता सूची में 7वाँ स्थान। मेडल एवं मैरिट छत्रवृति प्राप्त, बी. ए. में राष्ट्रीय छत्रवृत्ति प्राप्त। NSS में प्री आर डी एवं राष्ट्रीय एकात्मकता शिविर में राजस्थान का प्रतिनिधित्व।वाद विवाद , आशु भाषण, निबन्ध एवं कविता आदि में छात्र जीवन में अनेक पुरस्कार प्राप्त। *महाविद्यालय शिक्षिका के रूप में केरियर की शुरुआत। अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में पत्र वाचन, शोध पत्र प्रकाशन। *दो पुस्तकें शीघ्र प्रकाशित होने वाली हैं।