कविता

परिंदे सिखाते हैं

 

पांच परिंदे एक डाल पर, बैठे थे कर रहे विचार,
कोरोना ने बहुत सताया, कोई तो होगा उपचार!
जाने क्यों सब भ्रमित लग रहे, कोई नहीं बाहर आता,
जिनको हम प्यारे लगते थे, उनका दिखना है दुश्वार.

सही कह रहे हे भ्राता श्री, पर इस छोटे को तो देखो,
दाना नहीं मिला चुगने को, घबराहट को ओढ़ लिया है,
मैं कहता घबराहट छोड़ो, मुस्कुराहट से नाता जोड़ो,
घबराहट को छोड़के प्यारे, कोरोना से नाता तोड़ो.

बात पते की कह दी तुमने घबराहट को छोड़ना होगा,
गुणीजनों की बात मानकर कोरोना से बचना होगा,
अपना तन-मन सबल बनाकर, त्याग क्षोभ का करना होगा,
चिंता छोड़के प्रभु-चिंतन से अपने मन को जोड़ना होगा.

बार-बार साबुन से हाथ धो, सेनेटाइज भी करना होगा,
मास्क लगाना बहुत जरूरी, यह सबको बतलाना होगा,
हाथ मिलाना छोड़-छाड़कर नमस्ते करना सीखना होगा,
गर्म नीर से कुल्ले करके कंठ को स्वच्छ बनाना होगा.

सबसे बड़ी बात अब सुनलो, सोशल डिस्टैंस रखना होगा,
एक डाल का मोह छोड़कर, अलग वृक्ष पर रहना होगा,
बात हमारे हित की यह है, इसका पालन करना होगा,
न डरो, न डराओ, अफवाहों से बचना होगा.

वक्त एक सा नहीं है रहता, समय विकट यह कट जाएगा,
बस साहस से अपने मन को सुदृढ़-सबल बनाना होगा,
मन में सोचो शक्तिपुंज मैं, शक्ति का होगा संचार,
इन बातों का ध्यान रखा तो, कोरोना का होगा संहार.

अपनी-अपनी डाल पे बैठो, लॉकडाउन को सफल बनाओ,
माहौल कितना स्वच्छ हो गया, देखो मन में आनंद पाओ,
धैर्य से अनुशासन का पालन कर, मन-से-मन का करो जुड़ाव,
संकट टल जाएगा जल्द ही, झूमो-नाचो-मौज मनाओ.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

2 thoughts on “परिंदे सिखाते हैं

  • लीला तिवानी

    आनी-जानी सफलता को ‘जय’ कहते हैं,
    टिकने वाली सफलता को ‘विजय’ कहते हैं.

  • लीला तिवानी

    कोरोना: दुनिया से कहीं बेहतर भारत के हालात, ICMR के डिप्‍टी डायरेक्‍टर बोले- लॉकडाउन सफल
    भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus in India) के चलते पैदा हुए हालात, दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले बेहतर हैं। ICMR के डिप्‍टी डायरेटर डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने यह दावा किया है।

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