मुक्तक/दोहा

दोहा

इस जीवन का प्राण से, है जैसे संबंध।
सच्चाई से शांति का, वैसे ही अनुबंध।।

अंतस में जिस भाव के, बीजे गये विचार।
देगी ख़ेती कर्म की, वैसी पैदावार।।

बीज रहे हम आज जो, कुंठाओं की फस्ल।
काटेंगी हर हाल में, आने वाली नस्ल।।

मिलने का मौका मिला, जिससे जितनी बार।
अलग अलग आनन मिले,अलग अलग किरदार।।

रूढिवाद की साँकलें, बँधी सोच के पाँव।
मन की चाहत को मिले, कैसे मन का गाँव।।

सारे बंधन स्वार्थ के, झूठे नाते तोड़।
पंछी जाएगा चला, तन का पिंजरा छोड़।।

मिथ्या ने निज पक्ष में, इतने दिये कुतर्क।
झूठे साबित हो गये, सच्चाई के तर्क।।

विपदाओं से लोग जो, लड़ते हैं अविराम।
वे ही जीते हैं सदा, जीवन का संग्राम।।

बंसल तू निज कर्म कर, सच्चाई के साथ।
कर्तव्यों का फल सदा, होता विधिना हाथ।।

— सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.