कविता

रचना

जब मैं रोने ही वाली थी
पर मैं रोई नहीं
वो समय बड़ा निष्ठुर रहा होगा
क्योंकि मैं जब हँसना चाहती हूँ खुल कर
हँस भी कहाँ पाती हूँ
सुनो तुम…..
इन बातों को आतुरता से मत लेना
ये हल्की फुल्की बातें हैं
बस जरा सी राहतें हैं
तुम पढ़ कर रह जाना
मैं लिखकर रह जाऊंगी
वैसे कोई और कर भी क्या लेगा …
ये लिखा रोमानी नहीं सुंदर भी नहीं
प्रखर बौद्धिक शालीन भी नहीं
क्यों आपको अपनी ओर खींचे भला
फिर भी तुम ..हाँ तुम पढ़ लो इसे
ये अपार सुख…..
 की नीले रंग में लाइक
के लायक ये महान रचना बन फुसफुसा कर
रह जाएगी …..
ये ही विजय होगी
हाँ सूखे फूलों के बीच एक नन्ही तितली होगी
— अंजलि मनीष शर्मा

अंजलि शर्मा 'अंजुमन'

मिट्टी का तन मस्ती का मन क्षण भर जीवन मेरा परिचय इन पंक्तियाँ को ख़ुद में सार्थक करती राजस्थान के एक छोटे से शहर ब्यावर की निवासी है अंजलि शर्मा लेखन के क्षेत्र में बचपन से ही सक्रिय रही है व etv राजस्थान में उद्घोषक रह चुकी है 9 सितम्बर 1979 को जन्मी अंजलि शर्मा ने पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है व प्राणीशास्त्र में स्नातकोत्तर किया है वर्तमान में शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय है और प्ले स्कूल का संचालन कर रही हैं.