बाल कविता

सॉरी बोला

इक बच्चे में थी बदमाशी
मिलती कैसे फिर शाबाशी

स्कूल जब भी वो जाता था
कुछ न कुछ वो कर आता था

कभी फूल को तोड़े जाकर
फेक दे जूठा खाना खाकर

डेस्क पे क्या क्या लिख देता था
नाम न खुद का वो लेता था

ब्लेक बोर्ड भी गन्दा कर दे
पानी से सब गीला कर दे

बेंच को पटके कुछ वो ऐसे
उसकी चीज नहीं हो जैसे

इक दिन टीचर ने समझाया
उसको अपने पास बुलाया

स्कूल की ये चीज़ें सारी
जो भी है हर चीज तुम्हारी

बच्चा जाकर फिर मुंह खोला
और टीचर से सॉरी बोला

— डा जियाउर रहमान जाफरी

डॉ. जियाउर रहमान जाफरी

जन्म -मुज़फ़रा, बेगूसराय -हिन्दी, अंग्रेजी, शिक्षा शास्त्र में एम ए, बी एड, और परकारिता, हिन्दी से पीएच डी -खुले दरीचे की खुशबू खुशबू छू कर आई है परवीन शाकिर की शायरी चाँद हमारी मुट्ठी में है मैं आपी से नहीं बोलती लड़की तब हंसती है (संपादन ) .......आदि पुस्तकें प्रकाशित -हिन्दी, उर्दू, और मैथिली की पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन -बिहार सरकार का आपदा प्रबंधन लेखन पुरुस्कार प्राप्त -आकाशवाणी और टीवी चैनल्स में नियमित प्रसारण -फिलवक़्त -बिहार सरकार में अध्यापन संपर्क -माफ़ी, अस्थावां, नालंदा, बिहार 8031071 मो- 9934847941, 6205254255