सॉरी बोला
इक बच्चे में थी बदमाशी
मिलती कैसे फिर शाबाशी
स्कूल जब भी वो जाता था
कुछ न कुछ वो कर आता था
कभी फूल को तोड़े जाकर
फेक दे जूठा खाना खाकर
डेस्क पे क्या क्या लिख देता था
नाम न खुद का वो लेता था
ब्लेक बोर्ड भी गन्दा कर दे
पानी से सब गीला कर दे
बेंच को पटके कुछ वो ऐसे
उसकी चीज नहीं हो जैसे
इक दिन टीचर ने समझाया
उसको अपने पास बुलाया
स्कूल की ये चीज़ें सारी
जो भी है हर चीज तुम्हारी
बच्चा जाकर फिर मुंह खोला
और टीचर से सॉरी बोला
— डा जियाउर रहमान जाफरी