हास्य व्यंग्य

व्यंग्य : दादा ने दारू पीकर निभाया अपना राष्ट्र धर्म

डिनर करने के बाद हम प्रतिदिन की तरह बॉलकनी में बैठे बैठे मोबाइल पर फेसबुक नोटिफिकेशन देख रहे थे तभी नीचे एक  बाइक  के रुकने की आवाज आई। गली की स्ट्रीट लाइट पिछले लगभग चालीस दिनों से खराब होने के कारण कौन आया है? यह पहचानने  में कठिनाई हो रही थी । नीचे से आवाज आई अरे प्रोफेसर साहब!!शर्मा जी,कहाँ हो ??मैंने कहा कौन है भाई ? आवाज आई मैं चंदू लाल …/ मैंने कहा दादा राम-राम/ आज इस समय अचानक कैसे आना हुआ। दादा चन्दूलाल एक प्राइवेट स्कूल की बस चलाते थे ड्राइवर हैं, जब से लॉक डाउन हुआ तबसे स्कूल बंद तो उनका बस चलाना भी बंद। उम्र में हमसे दस वर्ष बड़े हैं, हमारी गली में हमारे घर के पाँच मकान छोड़कर रहते थे। हमारे फेसबुक मित्र भी हैं।
बोले राम-राम डॉ साहब!! नीचे आइये हम आज आपसे राष्ट्रीय मुद्दों पर बात करेंगे। मास्क लगाकर हमने नीचे आकर सोशल डिस्टसिंग का पालन करते हुए पाँच फुट दूरी बनाकर कहा बताइए दादा । हम कुछ  और बोलते उससे पहले ही दादा ने कहा भारत हमारा विश्व का सबसे समृद्ध लोकतांत्रिक मूल्यों बाला राष्ट्र है। हम और एक फुट और पीछे हो गए क्योकि दादा के मुँह से शराब की गन्ध आरही थी।
 दादा ने फिर वही वाक्य दोहराया , भारत हमारा विश्व का सबसे समृद्ध लोकतांत्रिक मूल्यों बाला देश है, हमारे देश में दूध की नदियां बहती हैं , भारत की संस्कृति एक दूसरे के सहयोग की संस्कृति है। भारत में नारी की पूजा होती है , यंत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते तंत्र देवता।
 हमने कहा दादा आप आज पीके…/ हाथ में थैले लिए थे बोले/ आज हम दो बोतल खरीद के लाएं, ठेके खुल गए/दुकान चालू/ अब हम आज खाना खायेंगे /एक महीने से तो दिन काट रहे थे/ हमने कहा दादा ये तो गलत है/ आप शराब पीकर मेरे पास आये हैं./ इस तरह की बातें कर रहे हैं ,/ दादा चन्दूलाल बोले डॉक्टर साहब आप फेसबुक पर रोज लेख लिखते हो कि राष्ट्र के प्रति हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। जब इंसान पर संकट आता है तो देश हमें सुरक्षा देने की गारंटी देता है। हमने कहा दादा मुझे ये बताओ मुझे नीचे क्यों बुलाया आपने?
दादा ने हिलते हुए झूमते हुए बाइक, साइड स्टैंड पर लगाई औऱ जमीन पर बैठ कर बोले/ डॉ साहब ,आज हमने अपना राष्ट्रीय धर्म निभाया है/ आज जिस समय हम अपने देश के लिए अपना योगदान दे रहे थे /उसी समय कुछ समाज सेवियों ने हम पर फूल बरसाए/ हमने पूरे दो घण्टे लाइन में लगकर राष्ट्रीय धर्म निभाया है।
हमने पूछा कैसे?? दादा चंदू लाल ने गर्व से कहा कि हमने आज सुबह पेपर में पढ़ा था कि राज्यों का 15 से 20 प्रतिशत राजस्व शराब से आता है, सरकारों के पहिये चलाने के लिए यह राजस्व जरूरी है। बस हमने आज सोच लिया कि देश की तीस दिनों में टूटी हुई अर्थव्यवस्था में हम अपना योगदान देंगें । हमने आज  मुन्नू की मम्मी जब खाना बना रही थी उसके बैग में से एक हजार रुपये लेकर चुपचाप रख लिए और हम गए फिर ठेके पर/ एक बोतल वहां पीली दोस्तों के संग। दो बोतल ले आये हैं, अगले चार दिन के लिए । अब हम सेना तो हैं नहीं, सिपाई हैं नहीं , डॉक्टर हैं नहीं  आपके जैसे प्रोफेसर भी नहीं ।तो अब राष्ट्र धर्म तो निभाना है, देश का राजकोष भी तो देखना है , आखिर देश के जिम्मेदार नागरिक हैं। कल कोई महामारी आगयी फिर हमारी सरकार कैसे  निपटेगी । इसलिए हमने निर्णय लिया है भले ही कितने पैसे बढ़ा दे सरकार शराब पर।  लेकिन हम पीकर अपना राष्ट्रीय धर्म तो निभाएँगे। और हाँ ये बाइक हम आज मांग कर ले गए थे, इसमें भी पैट्रोल डलवाया क्योकि सरकार ने राजस्व  बढ़ाने के लिए तेल के दाम बढ़ा दिए हैं तो हम इतना तो कर ही सकते हैं…स्वराष्ट्र के लिए…यही हमारा मन्त्र है यही लोकतंत्र है..जय हिंद
—  डॉ. शशिवल्लभ शर्मा

डॉ. शशिवल्लभ शर्मा

विभागाध्यक्ष, हिंदी अम्बाह स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, अम्बाह जिला मुरैना (मध्यप्रदेश) 476111 मोबाइल- 9826335430 ईमेल-dr.svsharma@gmail.com